Lake Town Sreepalli Welfare Association ने इस साल के Durga Puja में एक ऐसा पांडाल पेश किया है, जो नायाब तौर‑पराकैथ में बना है। लगभग एक मिलियन अखबारों को बुनकर तैयार हुई इस पांडाल का नाम "नविकरण" रखा गया है, जो शहर के विकास और तकनीकी बदलावों को दर्शाता है। मु्हावरे में कहा जाता है, "जहां चाह, वहां राह"—इसी भावना से 58 साल पुरानी इस संस्था ने शहरी जीवन की कहानी को कागज़ की परतों में पिरोया है।
नविकरण थीम के पीछे की कहानी
पांडाल के निर्माण का विचार मूल रूप से संचार के परिवर्तन को उजागर करने से आया। 1970‑80‑के दशक में हर घर में अखबार का महत्त्व था; वह सूचना का मुख्य स्रोत था। समय के साथ टीवी, रेडियो और अंततः इंटरनेट ने इस जगह को ले ली। इस सफ़र को दृश्य रूप में दिखाने के लिए एसोसिएशन ने तय किया कि अखबार ही मुख्य सामग्री होगी।
पांडाल का प्रवेश द्वार एक बड़ा पुराना प्रेस मानचित्र बनाता है, जिस पर विभिन्न युगों के प्रमुख समाचार‑हेडलाइन चिपकी हैं। जैसे ही आप अंदर पहुँचते हैं, एक बड़े काँच के मंच पर डिजिटल स्क्रीन पर आज‑कल के ट्रेंडिंग हैशटैग और सोशल‑मीडिया पोस्ट चलते दिखते हैं, जो दर्शकों को तुरंत आधुनिक समय से जोड़ते हैं।
कॉलोनियल काल के कोलकाता की गलियों को दर्शाने वाले हिस्से में वह पुराना अखबार उपयोग किया गया है, जिसमें अंग्रेजी, हिन्दी और बांग्ला लेखों की छटाएँ मिलती हैं। फिर धीरे‑धीरे शहर की स्काईलाइन बदलती हुई दिखती है—पहले ट्राम, फिर बसें, फिर मेट्रो, और अंत में इलेक्ट्रिक टैक्सियों की चमक। हर चरण में उपयोग किए गये अखबारों की रंग‑रूबाई उस समय के प्रमुख विज्ञापनों और समाचारों से प्रेरित है।

पांडाल में मिलते डिजिटल और पारम्परिक अनुभव
पांडाल के मुख्य हॉल में इंटरएक्टिव डिस्प्ले लगे हैं, जहाँ आगंतुक अपने मोबाइल से QR कोड स्कैन कर पुराने समाचारों को पढ़ सकते हैं या फिर वर्तमान की वर्चुअल रियलिटी अनुभव कर सकते हैं। एक छोटा मंच पर स्कूल‑बच्चों को डिजिटल पेंसिल से रुचिकर ग्राफ़िक्स बनाते देख सकते हैं, जो दर्शाता है कि कैसे शिक्षा भी इस परिवर्तन का हिस्सा रही है।
पारम्परिक ध्वनि और संगीत को भी नहीं भूला गया है। पांडाल के किनारे पर एक छोटा से रेडियो कोना है, जहाँ 90‑के दशक के रेडियो‑जिंगल और आज के प्ले‑लिस्ट को एक‑साथ बजाया जाता है, जिससे पुरानी यादें और नई ध्वनियां दोनों ही जीवंत हो उठती हैं।
सुरक्षा और सुविधा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पांडालीय मार्ग पर सेंट्रल एसी, वॉटर कूलर और एबीसी‑टैक्टिक टिप सीमापित हैं, जिससे भीड़ का प्रबंधन आसान बनता है। प्रत्येक प्रवेश द्वार पर वैक्युम‑क्लीनर और सैनिटैशन स्टेशन लगे हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर भी काबू पाया जा सकता है।
- पांडाल का क्षेत्रफल लगभग 2,500 वर्ग मीटर है।
- उपयोग किए गए अखबारों की कुल संख्या 1 मिलियन, जो लगभग 120 टन वजन के बराबर है।
- इंटरेक्टिव स्क्रीन पर 10,000+ विज़िटर की प्रतिक्रिया एकत्रित की जा रही है।
- स्थानीय कलाकारों के साथ मिलकर 12 बड़े म्यूरल बनाये गये हैं, जो शहरी जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं।
पारम्परिक पूजा‑पद्धतियों को भी यहाँ विशेष महत्व दिया गया है। पंडित जी द्वारा आरती, पंडाल के केंद्र में स्थापित पवित्र मन्दिर में देवी के स्वागत के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सांस्कृतिक मंच पर बांग्ला ग़ाज़ल, पॉप बैंड और शास्त्रीय नृत्य का मिश्रण प्रस्तुत किया जाता है, जिससे त्योहार की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही धरोहरें जीवित रहती हैं।
कुल मिलाकर, इस पांडाल ने सिर्फ एक दृश्य आँदा नहीं दिया, बल्कि यह एक सामाजिक प्रयोग भी बन गया है। यहाँ लगे कई विज़िटर अपने अनुभव को सोशल‑मीडिया पर साझा कर रहे हैं, और इस पहल ने कोलकाता के अन्य पांडालों को भी प्रेरित किया है। यह एक नई लहर है, जहाँ परम्परा को आधुनिकता के साथ मिलाकर एक नई पहचान बनाई जा रही है।