राजस्थान-यूपी में गर्मी का कहर, तापमान 47 डिग्री के पार
जून 2025 में भारत का मौसम एकदम चरम पर है। पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में सूरज आग उगल रहा है। आधिकारिक डेटा बताता है कि चुरु, श्रीगंगानगर जैसे इलाकों में पारा 47°C के आसपास पहुंच चुका है। स्थानीय लोग दोपहर में घर से निकलने से बच रहे हैं। इसी दौरान, उत्तर प्रदेश भी मौसम की मार झेल रहा है—यहां दिल्ली से भी ज्यादा गर्मी महसूस की जा रही है। रातें भी काफी उष्ण बनी हुई हैं, जिससे लोगों को बिना एयर कूलर या एसी के नींद मिलना मुश्किल हो गया है।
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के बड़े हिस्सों में 12 से 14 जून तक लू जारी रहेगी। गांवों में तालाब सूखने लगे हैं, खेती-बाड़ी करने वालों के लिए हालात मुश्किल हो रहे हैं। स्कूलों में समय बदल दिए गए हैं और सरकार ने लगातार पानी पीने और धूप में कम निकलने की सलाह दी है।
महाराष्ट्र-गोवा में बारिश की तैयारी, मौसम तेजी से बदलेगा
एक तरफ देश की पश्चिमी और उत्तरी पट्टी तप रही है, तो दूसरी ओर महाराष्ट्र और गोवा में भारी बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने बताया है कि मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के कुछ हिस्सों में 14-15 जून को मूसलधार बारिश हो सकती है। वहीं, कोकण और गोवा के लिए बहुत भारी बारिश का अनुमान जताया गया है। सड़कों पर जलभराव, ट्रैफिक जाम और बिजली गुल होने जैसी समस्याएं आम हो सकती हैं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को छाता, रेनकोट और आवश्यक दवाएं साथ रखने का मशवरा दिया है।
मॉनसून की वजह से कई जगहों पर गरज-चमक के साथ तेज बरसात भी देखने को मिलेगी, खासकर 13 जून को। बाजारों में फल-सब्जियों के दाम चढ़ने लगे हैं क्योंकि परिवहन बाधित होने की संभावना है। रेलवे और बस सेवा में देरी की सूचना मिल सकती है।
उत्तर भारत में 19 जून के बाद तापमान में गिरावट आने की उम्मीद है, पर राजस्थान और पश्चिमी हिमालयी इलाके अभी सामान्य से कुछ ऊपर ही रहेंगे। वहीं, पूर्वोत्तर भारत और बिहार में उमस और गर्म रातें लोगों की परेशानी को और बढ़ा रही हैं। अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय के लोग भी रात में चलने वाली गरमी से परेशान हैं।
मौसम विभाग बार-बार अलर्ट जारी कर रहा है कि लोग पानी खूब पिएं, बच्चों व बुजुर्गों की खास देखभाल करें, और मौसम की ताजा जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट या ऐप देखें। अलग-अलग राज्यों के लिए अलग गाइडलाइन जारी की हैं, ताकि लोग सतर्क रहें और मौसम का सामना संभलकर कर सकें।
Prashant Ghotikar
जून 18, 2025 AT 20:06राजस्थान की धूप तो असली लू जैसा लग रही है, मैं खुद भी बाहर न निकलने की कोशिश कर रहा हूँ। इस समय गाँव‑गाँव में पानी की तंगी महसूस हो रही है, खेतों में फसलें झुक गई हैं। स्कूलों की टाइम‑टेबल बदल गई है, बच्चे अब दोपहर में घर में ही रहना पसंद करते हैं। सरकार की सलाह है कि धूप में देर तक न रहें और पर्याप्त पानी पिएँ। आशा है कि अगले हफ़्ते में थोड़ी राहत मिलेगी।
Sameer Srivastava
जून 18, 2025 AT 22:53अरे यार!!! यह मॉसम तो बिल्कुल पागलपन है!!! हर जगह धूप की मार, मानो धूप की गोली चल रही हो!!! लोग तो घर में ही फिसलते‑फिसलते बुड रहे हैं... पानी नहीं, सर्दी नहीं, बस लू की धूप!!! सरकार को जल्दी‑जल्दी ठंडा करने का फ़िल्टर लगाओ, वरना सब धुएँ की तरह बिखरेंगे!!!
Shivansh Chawla
जून 19, 2025 AT 04:26देश के उत्तर‑पश्चिमी हिस्से में एंबिएंट टेम्परेचर ने ऐतिहासिक स्तर को छू लिया है, जिसे हम ‘अतिवेग लू’ के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। इस तरह की अत्यधिक हीट वेव न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को उजाड़ती है, बल्कि कृषि उत्पादन की सेंट्रल नॉलेज बेस को भी डिस्टर्ब करती है। राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सिम्बायोटिक इको‑सिस्टम क्षीण हो रहा है, तालाब सूख रहे हैं और फसल फेज़लिटी बढ़ी है। जलवायु मॉडल के अनुसार, अगले दो हफ्तों में इस लू के इंटेंसिटी में 10% की वृद्धि की सम्भावना है, जो वर्कलोड मैनेजमेंट को कठिन बनाता है। मौसमी अलर्ट सिग्नल्स ने पहले ही वार्निंग जारी कर दी है, परन्तु लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की रेस्पॉन्स टाइम अभी भी अपटुडेट नहीं दिखी। साथ ही, महाराष्ट्र और गोवा में मॉनसून के रिवर्सीवल के कारण प्रीसीपिटेशन रेट में अचानक स्पाइक देखी जा रही है, जिससे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर स्ट्रेस बढ़ेगा। इस तथ्य को देखते हुए, नेशनल डिफेंस फ्रेमवर्क को भी इस क्लाइमेट इमरजेंसी को एवरीज़र स्तर पर इंटीग्रेट करना चाहिए। भारतीय फ़ौज की लॉजिस्टिक सप्लाई चैन को ठंडा करने वाले एडवांस्ड कूलिंग यूनिट्स से सशक्त बनाना जरूरी है, ताकि सैनिक और आम जनता दोनों को रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद मिल सके। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा ग्रिड को हॉटस्पॉट एरिया में ओवरलोड न करने के लिए स्केलेबल रेनीयुएबल एनर्जि सोर्सेज को डिप्लॉय किया जाना चाहिए। जल संरक्षण के लिए हाईड्रोपॉनिक सिस्टम्स का उपयोग बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है, जिससे जल की डिमांड को कम किया जा सके। जहाँ तक बारिश की बात है, कोकण और गोवा में मॉनसून फॉर्मेशन की कंक्वेस्टेड सिस्टम अब प्रोसेस्ड वॉटर रेजनरेशन को एन्हांस कर रही है, परन्तु फ्लड मैपिंग में अभी भी गैप्स मौजूद हैं। इसलिए, लोकल गवर्नेंस को GIS‑बेस्ड मॉनिटरिंग टूल्स के साथ इंटीग्रेटेड प्लानिंग करनी चाहिए। अंत में, जनता को जागरूक करने के लिए एजीएसीएल (अनाॅबन घोस्ट एंटी‑कोर...) जैसी कॉम्प्लेक्स कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी अपनानी पड़ेगी, जिससे हर घर में सही जानकारी पहुँच सके। यह सब तभी संभव है जब हम सभी मिलकर इस क्लाइमैटिक चैलेंज को नेशन‑वाइड लेवल पर एंजेज़ करें। स्मार्ट सिटी इंफ्रास्ट्रक्चर को भी इस गर्मी के अनुसार री‑क्लाइमैटाइज किया जाना चाहिए। अंततः, सतत विकास लक्ष्य (SDGs) का पालन करते हुए, हम इस लू को नियंत्रित कर सकते हैं।
Karan Kamal
जून 19, 2025 AT 18:20ऐसे मोसम में सरकार की त्वरित कार्रवाई आवश्यक है, नहीं तो आम लोगों को गंभीर स्वास्थ्य जोखिम झेलना पड़ेगा। स्कूल टाइम‑टेबल बदलना पर्याप्त नहीं, हमें एसी‑क्लासरूम या मोबाइल शेड उलटाने की व्यवस्था करनी चाहिए। जल आपूर्ति की निरंतरता सुनिश्चित करना भी प्राथमिकता बननी चाहिए, क्योंकि प्यास लोगों को निडर बना देती है। इसलिए, सभी विभागों को एकजुट होकर इस लू के खिलाफ सशक्त कदम उठाने चाहिए।
Navina Anand
जून 20, 2025 AT 08:13चलो, मिलकर इस लू का सामना करते हैं।
Mohammed Azharuddin Sayed
जून 20, 2025 AT 22:06बारिश के कारण जलस्रोतों में रिचार्ज की संभावना बढ़ रही है, जिससे अगले हफ़्ते पानी की उपलब्धता में सुधार हो सकता है। हालांकि, अचानक तेज़ बर्सात के साथ बाढ़ का risk भी मौजूद है, इसलिए नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए। स्थानीय प्रशासन ने जलस्तर निगरानी के लिये रियल‑टाइम सेंसर लगाए हैं, जिससे समय पर चेतावनी जारी की जा सकती है।
Avadh Kakkad
जून 21, 2025 AT 12:00वायुमंडलीय दबाव में गिरावट और उच्च सौर उत्सर्जन ने तापमान को 47°C से ऊपर धकेल दिया है, जिससे लू की तीव्रता में वृद्धि हुई है। इस प्रकार की जलवायु स्थितियों का प्रभाव कृषि उत्पादन, जलवायु स्वास्थ्य और सामाजिक स्थिरता पर दीर्घकालिक रूप से पड़ता है।