लॉक अप – शेयर बाजार में क्या भूमिका है?

जब हम लॉक अप, एक नियत समय अवधि है जहां कंपनी के प्रमोटर, आरएंडडी टीम या प्रारंभिक निवेशकों को अपने शेयर बेचने की अनुमति नहीं रहती. इसे अक्सर लॉक‑अप पीरियड कहा जाता है, और ये अवधि कंपनियों की सार्वजनिक इंट्री (IPO) के बाद मार्केट स्थिरता सुनिश्चित करती है.

आज के निवेशकों को समझना चाहिए कि IPO, प्राथमिक सार्वजनिक प्रस्ताव है जिसमें कंपनी पहली बार शेयर जनता को बेचना शुरू करती है. IPO के दौरान जारी किए गए शेयरों पर अक्सर लॉक अप लागू होता है, ताकि प्रमोटर और प्रमुख शेयरधारक तुरंत बेचकर बाजार में अनावश्यक उतार‑चढ़ाव न लाएं. इस कारण से शुरुआती ट्रेडिंग दिनों में शेयर कीमतें अधिक स्थिर रहती हैं.

लॉक अप के प्रकार और उनका असर

लॉक अप दो मुख्य रूप से वर्गीकृत होते हैं: फ्लोटिंग लॉक अप, ज्यादातर अर्ली इनवेस्टर्स और संस्थागत निवेशकों पर लागू अवधि तथा परफॉर्मेंस‑बेस्ड लॉक अप, कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर रिलीज़ शर्तें. फ्लोटिंग लॉक अप आमतौर पर 90 से 180 दिन तक रहता है, जबकि परफॉर्मेंस‑बेस्ड लॉक अप में कंपनी के राजस्व या लाभ लक्ष्य पूरी होने पर ही शेयर रिलीज़ होते हैं.

निवेशक के दृष्टिकोण से लॉक अप की दो प्रमुख भूमिका है: पहला, यह मार्केट में अचानक बड़ी बिक्री को रोके रखता है जिससे मूल्य में तीव्र गिरावट नहीं आती; दूसरा, यह कंपनी के दीर्घकालिक विकास में भरोसा बढ़ाता है, क्योंकि प्रमोटर अपने शेयर को तब तक रखता है जब तक वो कंपनी की वृद्धि में भागीदार रहता है. यही कारण है कि कई सिक्योरिटीज विश्लेषक IPO के बाद पहले 6 महीने की लॉक अप समाप्ति को "ट्रिगर इवेंट" मानते हैं.

इसी समय पर, निवेशकों को अपनी रणनीति में बदलाव करने चाहिए. यदि लॉक अप समाप्ति के निकट कई बड़े शेयरधारक अपने शेयर बेचने की योजना बनाते हैं, तो कीमत पर संभावित दबाव की उम्मीद रखी जा सकती है. ऐसे में निचले जोखिम वाले विकल्प, जैसे डॉलर‑कॉस्ट एवरजिंग या छोटे हिस्से में निवेश, फायदेमंद हो सकते हैं.

कंपनी के लिए भी लॉक अप के नियम महत्वपूर्ण होते हैं. सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने 2020 के बाद सभी सार्वजनिक ऑफ़र में न्यूनतम 6 महीनों की लॉक अप शर्तें लागू कर दी हैं. इस नियम का उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षित वातावरण देना और कंपनियों को अनावश्यक शेयर बेचने से बचाना है.

तो, संक्षेप में, लॉक अप (Lock‑up) शेयर बाजार में एक सुरक्षा तंत्र है जो IPO के बाद कंपनी के शेयरों को एक निर्धारित अवधि तक बेचना प्रतिबंधित करता है. यह तरलता, कीमत स्थिरता, और निवेशक भरोसा सभी को संतुलित करता है. अब आप जब अगली बार किसी कंपनी की IPO पढ़ेंगे, तो आप इसके लॉक अप नियमों को देखेंगे और समझेंगे कि यह आपके निवेश निर्णयों को कैसे प्रभावित कर सकता है.

आगे के सेक्शन में हम आपको विभिन्न उद्योगों के हालिया लॉक अप अपडेट, प्रमुख IPO मामलों में लॉक अप अवधि का विश्लेषण, और कैसे आप इस जानकारी को अपने निवेश पोर्टफोलियो में लागू कर सकते हैं, दिखाएंगे. आपका इंतजार कर रहे हैं कई उपयोगी लेख, तो पढ़ते रहें!

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