आर्थिक सर्वेक्षण 2024: वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की GDP वृद्धि 6.5-7% रहने की उम्मीद

आर्थिक सर्वेक्षण 2024: वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की GDP वृद्धि 6.5-7% रहने की उम्मीद

आर्थिक सर्वेक्षण 2024

सोमवार, 22 जुलाई, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2024 पेश किया। इस सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की GDP वृद्धि दर 6.5% से 7% के बीच रहने की उम्मीद है। यह दर पिछले वर्ष 2024 में दर्ज की गई 8.2% GDP वृद्धि दर से कम है।

आर्थिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है जो भारतीय अर्थव्यवस्था का बीता हुआ वर्ष कैसा रहा और आने वाले वर्ष के लिए कौन से बजट प्राथमिकताएं हैं, इन सारी बातों का संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करता है। इस वर्ष का सर्वेक्षण भी इसका अपवाद नहीं है।

नौकरियों का निर्माण

आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि भारत को प्रति वर्ष 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है। यह आंकड़ा रोजगार सृजन की दिशा में सरकार की जिम्मेदारियों और चुनौतियों को रेखांकित करता है। वर्तमान परिस्थितियों में बेरोजगारी की समस्या एक बड़ी चुनौती बनी हुई है और इसके समाधान के लिए सटीक नीतियों और कार्यान्वयन की जरूरत है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार का प्रेस कॉन्फ्रेंस

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) अनंत नागेश्वरन ने सोमवार दोपहर 2:30 बजे एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे आर्थिक सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं और निष्कर्षों पर विस्तृत जानकारी देंगे।

आर्थिक सर्वेक्षण का इतिहास

ऐतिहासिक तौर पर देखा जाए तो आर्थिक सर्वेक्षण बजट के साथ प्रस्तुत किया जाता था, लेकिन 1964 से इसे बजट से पहले पेश किया जाने लगा। यह पारंपरिक रूप से दो खंडों में प्रकाशित होता है, जिसमें पहले खंड में व्यापक आर्थिक विश्लेषण और दूसरे खंड में नीतिगत उपायों का विस्तृत विवरण होता है।

भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी वित्तीय वर्ष 2025 के लिए अपने GDP वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.2% कर दिया है। यह वृद्धि अनुमान सकारात्मक आर्थिक संकेतकों और वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है।

आर्थिक सर्वेक्षण के इस विश्लेषण से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले वित्तीय वर्ष में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, परंतु संभावनाएँ भी उतनी ही प्रबल हैं।

यह देखना रोचक होगा कि आने वाले बजट में सरकार इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर कौन सी नीतियाँ और योजनाएँ पेश करती है। भारतीय जनता के आँखें अब वित्त मंत्री द्वारा 23 जुलाई 2024 को पेश किए जाने वाले बजट भाषण पर टिकी हुई हैं।

8 टिप्पणि

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    arun kumar

    जुलाई 22, 2024 AT 19:23

    वित्त मंत्रालय ने जो आंकड़े पेश किए हैं, वो काफी आशाजनक लगते हैं।
    6.5‑7% की जिडीपी ग्रोथ लक्ष्य अभी भी विकास की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
    बेरोज़गारी की चुनौती अभी भी बड़ी है, पर सरकार ने नौकरियों के निर्माण का लक्ष्य तय किया है।
    अगर नीति सही दिशा में लागू हो, तो यह अनुमान वास्तविकता बन सकता है।
    आइए, इस दिशा में सभी के सहयोग की उम्मीद रखें।

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    Karan Kamal

    जुलाई 22, 2024 AT 19:33

    आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेखित 78.5 लाख नई नौकरियों का लक्ष्य अत्यधिक महँगा दिखता है।
    वास्तव में, उद्योग‑सेवा के मिश्रण से ही इतनी फुर्सत मिल सकती है।
    सरकार को कौशल‑प्रशिक्षण पर तुरंत निवेश करना चाहिए, नहीं तो लक्ष्य केवल कागजी रहेगा।
    जिडीपी की दर घटने का कारण संरचनात्मक समस्याएँ हैं, इन्हें हल करना अनिवार्य है।
    कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने से ही विकास की गति तेज़ होगी।
    इसीलिए, बजट में रोजगार‑सृजन के लिए ठोस कदमों की अपेक्षा है।

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    Navina Anand

    जुलाई 22, 2024 AT 19:43

    बिलकुल, कौशल‑प्रशिक्षण पर ध्यान देना ज़रूरी है।
    अभी कई युवा सही दिशा नहीं पा पा रहे, इसलिए प्रो‑ट्रेनिंग प्रोग्राम लॉन्च किए जाएँ।
    अगर सरकार इन पहलुओं को प्राथमिकता दे, तो लक्ष्य का आधा ही रास्ता तय हो जाता है।
    आशा है कि अगला बजट इसको ध्यान में रखेगा।

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    Prashant Ghotikar

    जुलाई 22, 2024 AT 19:53

    रिपोर्ट में RBI का 7.2% अनुमान भी उल्लेखनीय है-ये दर्शाता है कि वित्तीय स्थिरता में सुधार हो रहा है।
    परंतु महंगाई का दबाव अभी भी उच्च स्तर पर है, इसका समाधान बिना ठोस नीतियों के संभव नहीं।
    भारत को निर्यात‑उत्साह और घरेलू खपत दोनों को संतुलित करना होगा।
    उच्च तकनीकी निवेश और स्टार्ट‑अप इकोसिस्टम को प्रोत्साहन देना चाहिए।
    इन कदमों से ही सतत विकास प्राप्त हो सकेगा।

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    Sameer Srivastava

    जुलाई 22, 2024 AT 20:03

    बिल्कुल!! यह तो साफ़ बात है कि अगर नीति में स्लिप नहीं होगी!!!
    सरकार को फोकस्ड रहना पड़ेगा, नही तो सब फेट जाएँगे!!!
    जिडीपी के टैर्गेट को रियलाइज़ करने लेइये हर सेक्टर को द़ुबारा देखना पड़ेगा!!
    ईकोनॉमी के हर एंगल पे काम करना पड़ेगा!!

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    जुलाई 22, 2024 AT 20:13

    सर्वेक्षण का डेटा दिखाता है कि पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि धीमी हो रही है, पर यह भी संकेत देता है कि मौद्रिक नीति ने कुछ हद तक असर किया है।
    फिर भी, निजी निवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है, क्योंकि वही दीर्घकालिक रूप से जिडीपी को ऊपर लेगा।
    देश की युवा शक्ति को उचित मंच मिलना चाहिए, तभी नौकरियों का लक्ष्य वास्तविक हो पाएगा।
    बजट में अनुशंसित पहलें इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
    आशा है कि अगले महीने की चर्चा में ये बिंदु प्रमुखता से उठेंगे।

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    Avadh Kakkad

    जुलाई 22, 2024 AT 20:23

    आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में प्रस्तुत आंकड़े भारत की आर्थिक स्थिति का विस्तृत चित्रण करते हैं।
    2024 में 8.2% की जिडीपी वृद्धि दर विश्व में उच्चतम स्तरों में से एक थी, परन्तु 2025 में 6.5‑7% लक्ष्य वास्तविकता में कई चुनौतियों को दर्शाता है।
    इस गिरावट के प्रमुख कारणों में वैश्विक मुद्रास्फीति, घरेलू नीतिगत अनिश्चितता और निवेश में गिरावट शामिल हैं।
    RBI का 7.2% अनुमान थोड़ा आशावादी है, लेकिन यह मौद्रिक नीति की लचीलापन को भी प्रतिबिंबित करता है।
    मौजूदा मौद्रिक नीति की दिशा में दरों को स्थिर रखने का प्रयास किया गया है, जिससे पूंजी प्रवाह को नियंत्रित किया जा सके।
    हालांकि, उपभोक्ता कीमतों में स्थायी दबाव अभी भी बना हुआ है, जिससे क्रय शक्ति पर असर पड़ा है।
    रोजगार सृजन का लक्ष्य 78.5 लाख नौकरियों का है, जो कि लगभग 1.5 करोड़ कार्यस्थलों की आवश्यकता को दर्शाता है।
    इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता कोन्ट्रीसरी इंडस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल सर्विसेज में दी जानी चाहिए।
    कौशल विकास कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाने से युवा कार्यबल की क्षमताओं में सुधार होगा।
    यदि तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण को सही ढंग से लागू किया जाए, तो औसत से अधिक उत्पादन क्षमता हासिल की जा सकती है।
    बजट में अधिसूचित फिस्कल प्रोत्साहन जैसे कि MSME ऋण गारंटी और स्टार्ट‑अप फंडिंग को बढ़ावा देना चाहिए।
    विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए विनियमों को सरल बनाना और निर्यात‑उन्मुख नीतियों को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
    साथ ही, सड़कों, पोर्ट्स और ऊर्जा बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश होना चाहिए, ताकि लॉजिस्टिक्स लागत घटे।
    इन सभी उपायों से ही भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और जिडीपी ग्रोथ लक्ष्य को वास्तविकता में बदला जा सकेगा।
    अंत में, नीति निर्माताओं को डेटा‑ड्रिवन निर्णय लेना चाहिए, ताकि आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना किया जा सके।
    हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि अगला बजट इन प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करेगा और देश को सतत विकास के रास्ते पर ले जाएगा।

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    Sameer Kumar

    जुलाई 22, 2024 AT 20:33

    सही बात है, बजट देखना बाकी है।

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