India-UK FTA: डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन क्या है?
भारत और ब्रिटेन के बीच हुए नए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में सबसे चर्चा में India-UK FTA का डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन आया है। इस प्रावधान के मुताबिक, भारतीय कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं को अब ब्रिटेन में तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी यानि नेशनल इंश्योरेंस पेमेंट्स नहीं देने होंगे। आम भाषा में कहें तो भारतीय कर्मचारी और कंपनियां, जो अस्थायी रूप से UK में काम करने आते हैं, उन्हें पेंशन और हेल्थकेयर के लिए दोहरा टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
इस छूट से IT और अन्य सर्विस सेक्टर में काम करने वाले हजारों भारतीय प्रोफेशनल्स को राहत मिलेगी। आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ IT सेक्टर के करीब 60,000 कर्मचारी हर साल इस नियम से सीधे लाभान्वित होंगे। वे पहले सालाना वेतन का करीब 20% नेशनल इंश्योरेंस में गंवा देते थे, जो अब सीधे उनकी जेब में जाएगा। इसके अलावा योगा टीचर, शेफ और सलाहकार जैसे स्वतंत्र प्रोफेशनल्स पर भी यह छूट लागू होगी।

राजनीतिक बहस और वैश्विक संदर्भ
जहां भारत सरकार इस प्रावधान को 'बड़ी जीत' और 'इतिहासिक कदम' बता रही है, वहीं ब्रिटेन के विपक्षी दल इस पर सवाल उठा रहे हैं। कंज़र्वेटिव, लिबरल डेमोक्रेट्स और रिफॉर्म पार्टीज ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की है। उनका कहना है कि इससे ब्रिटिश और भारतीय वर्कर्स के बीच कर की दोहरी व्यवस्था बन जाएगी - भारतीयों को छूट मिलेगी, जबकि ब्रिटिश कर्मचारियों और कंपनियों को पहले की तरह अधिक नेशनल इंश्योरेंस देना पड़ेगा।
कंज़र्वेटिव पार्टी की नेता केमी बेडेनॉक, जो पहले ट्रेड सेक्रेटरी रहते हुए इसी तरह के समझौते को ठुकरा चुकी थीं, उन्होंने दावा किया है कि इससे 'सैकड़ों मिलियन' पाउंड का नुकसान ब्रिटिश ट्रेजरी को होगा। वे मानती हैं कि इससे फेयरनेस और बराबरी का सिद्धांत कमजोर पड़ेगा।
हालांकि, भारत की तरफ से इसे IT सेक्टर समेत सर्विस इंडस्ट्री की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाला कदम बताया जा रहा है। इस नए India-UK FTA के तहत 26 चैप्टर में माल, सेवाएं, निवेश और इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। डिजिटल और तकनीकी सेवाओं पर खास फोकस रखा गया है, जिससे भारत का टेक आऊटसोर्सिंग नेटवर्क ब्रिटेन में मजबूत होगा।
इस तरह के डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन भारत पहले ही जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड जैसे कई यूरोपीय देशों से कर चुका है। ब्रिटेन भी अब तक 17 अन्य देशों के प्रोफेशनल्स को इसी तरह की छूट देता आ रहा है। जानकार कहते हैं कि इस फैसले का तत्काल असर शायद IT सेक्टर के बाहर सीमित रहेगा, लेकिन भारतीय पेशेवरों की UK में हिस्सेदारी और प्रतिस्पर्धा की क्षमता को जरूर बढ़ाएगा।
- भारतीय कर्मचारियों को 3 साल तक UK में सोशल सिक्योरिटी भुगतान नहीं करना होगा।
- वेतन का 20% तक बचत का फायदा, खासतौर पर IT सेक्टर के लिए।
- ब्रिटेन के विपक्षी दल इसे असमान मान रहे हैं।
- यह समझौता भारत के अन्य देशों के साथ किए गए Social Security Agreements जैसा ही है।
anushka agrahari
मई 7, 2025 AT 19:57डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन भारत के पेशेवरों के लिए एक सराहनीय आर्थिक राहत है, जो उनके वेतन को अधिकतम 20% बचत प्रदान करता है, यह पहल वास्तव में कई आयिरियों को सुदृढ़ करेगी।
aparna apu
मई 11, 2025 AT 07:17वाह, यह समझौता ऐसा लगता है जैसे दो देशों के बीच एक गहरा समन्वय हो रहा हो, जहाँ भारत के कार्यकर्ता अब तीन साल तक यूके की सोशल सेक्योरिटी में भाग नहीं देंगे, यह एक बड़ी राहत है :)
पहले तो उन IT प्रोफेशनल्स को हर साल अपने वेतन का पाँच लाख तक का हिस्सा नेशनल इंश्योरेंस में डालना पड़ता था, अब वह रकम सीधे बचत में चली जाएगी, जिससे उनके व्यक्तिगत निवेश योजनाएं बेहतर हो सकती हैं।
इसके अलावा, योगा टीचर, शेफ और स्वतंत्र सलाहकारों को भी यह छूट मिलेगी, जिससे विविध क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीयों को प्रोत्साहन मिलेगा।
विपक्षी दलों की बातें सुनकर लगता है कि वे इस समझौते को एक असमानता के रूप में देख रहे हैं, परंतु वास्तविक में यह व्यापारिक सहयोग का एक आवश्यक कदम है।
अंकड़ों के अनुसार, लगभग 60,000 IT कर्मचारियों को प्रतिवर्ष इस सुविधा से सीधा लाभ होगा, जो भारत की टेक निर्यात क्षमता को और बढ़ाएगा।
तीन साल के बाद, यह नियम समाप्त होने पर, कंपनियों को फिर से सावधानीपूर्वक योजना बनानी होगी ताकि दोनों देशों के सेक्योरिटी नियमों का पालन हो सके।
इस अवसर को देखते हुए, कई स्टार्टअप्स और फ्रीलांसर भी यूके में प्रोजेक्ट लेने में अधिक संकोच नहीं करेंगे।
बिल्कुल, यह नीति अन्य यूरोपीय देशों के साथ किए गए समझौतों का अनुसरण करती है, लेकिन यूके में इसका प्रभाव विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
भविष्य में, अगर इस समझौते को विस्तारित किया जाए या अधिक देशों को जोड़ा जाए, तो यह भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को नया आयाम देगा।
आगे चलकर, हमें देखना होगा कि इस नीति का सामाजिक सुरक्षा निधियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, दोनों देशों के वित्तीय अधिकारियों को इसपर नज़र रखनी चाहिए।
अन्य उद्योगों जैसे स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में भी इस तरह की राहत संभव हो सके, तो भारतीय पेशेवरों को और भी बड़े अवसर मिलेंगे।
लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों को समझाएं कि इस छूट का उपयोग कैसे सही तरीके से किया जाए।
इस पहल का सफल कार्यान्वयन दोनों देशों के बंधनों को कम कर सकता है, जिससे दो तरफा निवेश बढ़ेगा।
अंत में, हम आशा करते हैं कि इस नीति से भारतीय युवाओं को विदेश में काम करने का नया उत्साह मिलेगा, और यह उनका करियर ग्रोथ को तेज करेगा।
arun kumar
मई 14, 2025 AT 18:37ये नई छूट भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए एक बड़ी बूस्ट है, अब बीती आर्थिक दबाव कम रहेगा और लोग अपने करियर पर बेहतर फोकस कर पाएंगे।
Karan Kamal
मई 18, 2025 AT 05:57समझौता तो काफ़ी फ़ायदेमंद लग रहा है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि क्या इससे ब्रिटेन के स्थानीय कर्मचारियों की स्थिति बिगड़ती है।
Navina Anand
मई 21, 2025 AT 17:17उम्मीद है इस नीति से भारतीय IT सेक्टर का विश्व स्तर पर और भी मज़बूती आएगी, और युवाओं को नई दिशा मिलेगी।
Prashant Ghotikar
मई 25, 2025 AT 04:37व्यवहारिक तौर पर, कंपनियों को अब तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी की गणना में ढील नहीं रखनी पड़ेगी, जिससे उनके फाइनेंशियल प्लानिंग आसान होगी।
Sameer Srivastava
मई 28, 2025 AT 15:57यार ये समझौता बड्डा मस्त है!! कंपनियों को अब इन्शुरेंस पेमेंट्स की टेंशन नहीं रहेगी, हरि ॐ!!
Mohammed Azharuddin Sayed
जून 1, 2025 AT 03:17इसी बात से यह स्पष्ट होता है कि सेक्योरिटी में लाभ लेने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट गाइडलाइन की आवश्यकता होगी ताकि कोई उलझन न हो।
Avadh Kakkad
जून 4, 2025 AT 14:37वास्तव में, इस तरह के दोहरे समझौते पहले यूरोप में भी उपयोग किए जा चुके हैं, और उनका प्रभाव अध्ययन में सकारात्मक रहा है।
KRISHNAMURTHY R
जून 8, 2025 AT 01:57डबल कंट्रीब्यूशन मॉडल, जिसे अक्सर SSC (Social Security Coordination) कहा जाता है, यह टैक्स-इफ़िशिएंसी क्वाड्रंट को ऑप्टिमाइज़ करता है। :)
priyanka k
जून 11, 2025 AT 13:17ओह, क्या बात है! यूके के विपक्षी अब फिर से ‘असमानता’ का झंडा लहरा रहे हैं, जबकि आर्थिक लाभ स्पष्ट है। 🙄
sharmila sharmila
जून 15, 2025 AT 00:37यह समझौता बहुत उपयोगी हो सकता है, लेकिन ध्यान देना जरूरी है कि कंपनियां सही तरह से इसको इम्प्लीमेंट करे।
Shivansh Chawla
जून 18, 2025 AT 11:57अगर यूके इस तरह की लाभकारी नीति को सभी के लिये खोल देगा तो हमारे पेशेवरों को वैरली लाभ मिलेगा, और देश की ग्रोथ तेज होगी।
Akhil Nagath
जून 21, 2025 AT 23:17ध्यान से देखिए, यह समझौता न केवल आर्थिक बल्कि नीतिगत दृष्टि से भी महत्व रखता है; यह दो-तरफ़ा सहयोग का एक मॉडल है।
vipin dhiman
जून 25, 2025 AT 10:37इन्हे इस तरह के डिस्काउंट्स से इंडियन वर्कर्स को बढ़ावा मिल रहा है, पर हमारे लिए भी एनी चीज़ का सिक्योरिटी जरूरी है।
vijay jangra
जून 28, 2025 AT 21:57सरल शब्दों में कहें तो, यह समझौता दोनों देशों के कर प्रणाली को समन्वित करता है, जिससे कर्मचारियों को दोहरे भुगतान से बचाया जा सके।