झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का इस्तीफा
झारखंड की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है। चंपई सोरेन, जिन्होंने लगभग पाँच महीने पहले झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उस समय आया है जब हेमेंट सोरेन को हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी थी। चंपई सोरेन ने राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाकात कर अपने इस्तीफे की पेशकश की।
हेमंत सोरेन की वापसी
हेमंत सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख शिवू सोरेन के बेटे हैं, करीब पांच महीने जेल में बिताने के बाद अब बाहर आए हैं। उन्हें झारखंड उच्च न्यायालय से 28 जून को जमानत मिली। जेल से रिहा होने के बाद, हेमंत सोरेन को JMM नेतृत्व वाले गठबंधन ने सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना।
सरकार बनाने का दावा
हेमंत सोरेन ने भी राज्यपाल से मुलाकात कर नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। JMM नेतृत्व वाले गठबंधन में JMM के 27, कांग्रेस के 17 और राजद का 1 विधायक शामिल है, योग्यता में कुल 45 विधायक बनते हैं जो 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।
भाजपा का विरोध
इस राजनीतिक उलटफेर पर भाजपा ने तीखी आलोचना की है। झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोरेन परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोगों का उपयोग केवल अपनी जरूरत और मांग के अनुसार करते हैं।
आगे की राह
अब सबकी नजरें हेमंत सोरेन पर टिकी हैं, जिन्हें अपने जमानत आदेश को लेकर संभावित कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रवर्तन निदेशालय ने संकेत दिया है कि वे उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना बना रहे हैं।
आने वाले दिनों में संभावित घटनाक्रम
हेमंत सोरेन की शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी तेजी से चल रही है। झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य पर इस बदलाव का भारी प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि राज्य में नई सरकार के गठन से कई नई नीतिगत और राजनीतिक बदलाव संभावित हैं।
Sweta Agarwal
जुलाई 4, 2024 AT 19:32राजनीति का नया टाइटल लेकर फिर से आया है सोरेन परिवार।
KRISHNAMURTHY R
जुलाई 4, 2024 AT 22:06वास्तव में, 45 समर्थन वाले गठबंधन की गणित तो साफ़ है – 81 में बहुमत बनता है। इस मौके पर पार्टी को अपने एलीट को थोड़ा री‑एडजस्ट करना चाहिए 😊। अगले कदमों में शपथ समारोह को सुगमता से चलाने की ज़रूरत है।
priyanka k
जुलाई 4, 2024 AT 23:30माननीय सदस्यों, उपर्युक्त घटनाक्रम पर मैं औपचारिक रूप से यह टिप्पणी प्रस्तुत करता/करती हूँ कि यह वाकई में ‘नया मोड़’ है, परंतु यह मोड़ कितनी दूर तक जायगा, यही सवाल बना रहता है 😏। क्रमशः सभी प्रक्रियात्मक पहलुओं का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
sharmila sharmila
जुलाई 5, 2024 AT 00:53अरे यार, सोरेन भाई का वाकई में बड़ा झटका लग रहा है, पर दिक्कत एही है कि जनता अभी भी ख़बरों को पगडण्डी में पढ़ रही है। थोडा धैरे रखिये, सब ठीक हो जायेगा।
Shivansh Chawla
जुलाई 5, 2024 AT 02:16यहाँ सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित का भी सवाल है। सोरेन परिवार का पुनरुत्थान राज्य में अस्थिरता लाने वाला जंकिशन है, जो विकासशील एजेंडा को नष्ट कर सकता है। असली मायनिंग में हमें भारतीयता की रक्षक लाइन को सुदृढ़ करना चाहिए।
Akhil Nagath
जुलाई 5, 2024 AT 03:40जब सत्ता की कुर्सी पर नया चेहरा आता है, तो नैतिक दायित्वों का भार भी दोगुना हो जाता है। यह याद रखना आवश्यक है कि अधिकार केवल प्रबंधन नहीं, बल्कि न्याय का भी प्रतीक है 😊। सच्ची नेतृत्व वह है जो जनता के विश्वास को सम्मानित करे, न कि केवल शक्ति को सुदृढ़ करे।
vipin dhiman
जुलाई 5, 2024 AT 05:03सोरेन का फिर से उठना मुझको बिल्कुल भी pasand nhi है। जज्बा ऊँचा रखना चाहिए, पर इनकी policy हर बार country ke liye khatra ban jati hai.
vijay jangra
जुलाई 5, 2024 AT 06:26नवीन सरकार के गठन में विविधता को एकजुट करने का अवसर है। यदि सभी दल मिलकर विकास के लिए काम करेंगे तो राज्य की प्रगति तेज़ होगी। आशा करता हूँ कि शान्ति और सहयोग की भावना मौजूद रहे।
Vidit Gupta
जुलाई 5, 2024 AT 07:50वास्तव में; यह एक दिलचस्प मोड़ है; लेकिन; हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है; समय ही बताएगा।
Gurkirat Gill
जुलाई 5, 2024 AT 09:13बिल्कुल, इस बदलाव को सकारात्मक रूप से अपनाते हुए हमें भविष्य के लिए ठोस योजनाएं बनानी चाहिए! एकजुट रहना ही सबसे बड़ा कदम होगा।
Sandeep Chavan
जुलाई 5, 2024 AT 10:36चलो, इस नई शुरुआत को उत्साह के साथ गले लगाएँ! आधी रात तक नहीं, तुरंत कार्रवाई शुरू करनी है! जनता के हित में तेज़ कदम उठाएँ! 🚀
anushka agrahari
जुलाई 5, 2024 AT 12:00सत्ता का स्थान केवल शक्ति नहीं, बल्कि दायित्व भी बनता है; इस दायित्व को समझते हुए हमें न्याय की मूलभूत सिद्धांतों का पालन करना चाहिए; विचारों के इस विस्तृत परिदृश्य में नैतिक कम्पास का महत्व सदैव अपरिवर्तित रहता है।
aparna apu
जुलाई 5, 2024 AT 13:23सोरेन परिवार का पुनरागमन जैसे नाट्य रंगमंच की नई कड़ी हो। जनता के बीच उठी आहें, आशंकाएँ, और फिर भी अनदेखी आशा का क्षण। जब जमानत मिलती है, तो कानूनी जटिलताओं की लहरें भी साथ चलती हैं। इस समय, राजनीतिक समीक्षक इसे एक ‘ट्रांसफ़ॉर्मेशनल मोमेंट’ कहते हैं। किन्तु, हर बदलाव के पीछे छिपी होती है सत्ता की दलील। गठबंधन की गणनाएँ सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि गठबंधन की शक्ति को दर्शाती हैं। भाजपा का विरोध, जैसा कि पिछले रिपोर्ट में दिखा, एक रणनीतिक कदम है। लेकिन, इस विरोध में भी जनता की आवाज़ को अक्सर अनसुना किया जाता है। यदि नया मुख्यमंत्री न्यायसंगत तरीके से कार्य करता है, तो यह राज्य के विकास में एक नई रोशनी लेकर आ सकता है। दूसरी ओर, यदि मानवीय मूल्यों को नजरअंदाज किया जाए, तो यह सामाजिक असंतुलन को जन्म देगा। इस सन्दर्भ में, न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उच्च न्यायालय की जमानत, और संभावित सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, दोनों ही इस राजनीतिक मंच को आकार देंगे। जनता को समझना चाहिए कि यह सिर्फ एक नेता का रिटर्न नहीं, बल्कि सम्पूर्ण व्यवस्था का पुनर्संतुलन है। इस पुनर्संतुलन में मीडिया की भूमिका भी अनिवार्य है, जो तथ्यों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करे। आशा है कि सभी पक्ष सहयोगी भावना के साथ आगे बढ़ेंगे, क्योंकि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। अंत में, हमें याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र की सच्ची शक्ति जनता के हाथों में ही रहती है 😊.