चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अभिजीत गांगुली को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ 'अनुचित, गैर-न्यायिक और अनादरपूर्ण टिप्पणी' करने के लिए एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
बुधवार को हल्दिया जिले में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान की गई टिप्पणी पर चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रथम दृष्टया यह टिप्पणी आदर्श आचार संहिता और 1 मार्च को जारी एडवाइजरी का उल्लंघन करती है। कई लोगों द्वारा टिप्पणी को महिला विरोधी करार दिया गया है, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि गांगुली ने 'महिला विरोधी' टिप्पणी की है।
तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह गांगुली के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करे और उन्हें सार्वजनिक बैठकों या रैलियों में भाग लेने से प्रतिबंधित करे। हालांकि, भाजपा ने वीडियो को 'फर्जी' बताकर इनकार किया है।
चुनाव आयोग ने मांगा जवाब
चुनाव आयोग ने गांगुली से 20 मई को शाम 5 बजे तक जवाब मांगा है। आयोग ने कहा है कि टिप्पणी प्रथम दृष्टया आदर्श आचार संहिता और 1 मार्च को जारी एडवाइजरी का उल्लंघन करती है।
गांगुली पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर हल्दिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। भाजपा ने उन्हें इस बार पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
तृणमूल कांग्रेस ने की शिकायत
गांगुली द्वारा की गई टिप्पणी को महिला विरोधी बताते हुए तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि गांगुली ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ 'महिला विरोधी' टिप्पणी की है।
तृणमूल कांग्रेस ने मांग की है कि चुनाव आयोग गांगुली के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। पार्टी ने कहा है कि गांगुली को सार्वजनिक बैठकों या रैलियों में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
भाजपा ने वीडियो को बताया फर्जी
गांगुली द्वारा की गई टिप्पणी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। हालांकि, भाजपा ने इस वीडियो को फर्जी करार दिया है। पार्टी का कहना है कि यह वीडियो एडिट किया गया है और इसमें गांगुली के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
भाजपा ने कहा है कि गांगुली ने ममता बनर्जी के खिलाफ कोई अनुचित टिप्पणी नहीं की है। पार्टी ने इसे विपक्षी दलों द्वारा चुनाव से ठीक पहले भ्रम फैलाने की कोशिश बताया है।
चुनाव आयोग सख्त
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों पर कड़ी नजर रखे हुए है। आयोग ने सभी दलों और उम्मीदवारों को आदर्श आचार संहिता का पालन करने के लिए कहा है।
इससे पहले भी चुनाव आयोग ने कई नेताओं को आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया है। आयोग ने कहा है कि वह आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में सख्त कार्रवाई करेगा।
चुनावी माहौल गरमाया
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण का मतदान 29 अप्रैल को होना है। आठ चरणों में हो रहे इस चुनाव में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
चुनाव प्रचार के दौरान दोनों दलों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच भी जुबानी जंग छिड़ी हुई है।
ऐसे में गांगुली द्वारा ममता बनर्जी पर की गई टिप्पणी ने चुनावी माहौल को और गर्मा दिया है। देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और इसका चुनाव पर क्या असर पड़ता है।
vijay jangra
मई 17, 2024 AT 18:59चुनाव आयोग का नोटिस लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पवित्रता को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रकार की कार्रवाई से सभी राजनीतिक दलों को विचारशीलता से अपने शब्द चुनने की प्रेरणा मिलती है। आशा है कि न्यायिक कार्यवाही में निष्पक्षता बनी रहेगी।
Vidit Gupta
मई 24, 2024 AT 17:39गांगुली की टिप्पणी, जो सार्वजनिक मंच पर की गई थी, स्पष्ट रूप से चयन प्रक्रिया के नियमों को चुनौती देती है, इसलिए आयोग की प्रतिक्रिया समय पर और आवश्यक थी, यह ध्यान देने योग्य बात है, कि ऐसे उल्लेख अनुचित व्यवहार को रोकने में मदद करते हैं, सार्वजनिक चेतना को जागरूक करते हैं, और राजनीतिक शिष्टाचार को सुदृढ़ बनाते हैं।
Gurkirat Gill
मई 31, 2024 AT 16:19विचारधारा के टकराव में अक्सर भावनात्मक शब्दों का प्रयोग देखा जाता है। चुनाव आयोग का नोटिस इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए एक सीधी कार्रवाई है। अभिजीत गांगुली के बयान को महिला विरोधी कहा गया है, जिससे सार्वजनिक प्रतिक्रिया तीव्र हुई। इस प्रकार की टिप्पणियाँ सामाजिक सामंजस्य को प्रभावित करती हैं। यह नियम 1 मार्च को जारी एडवाइजरी में विस्तृत है। नोटिस का उद्देश्य न केवल गांगुली को जवाबदेह बनाना है, बल्कि सभी उम्मीदवारों के लिए एक उदाहरण सेट करना भी है। कई नागरिक इस कदम को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के रूप में देखते हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने वीडियो को फर्जी कहा, जिससे इस मुद्दे में जटिलता बढ़ी। राजनीतिक पार्टियों के बीच यह लड़ाई अक्सर मतदाता भ्रम का कारण बनती है। तृणमूल कांग्रेस ने कड़ी कार्रवाई की मांग की, जो न्यायिक प्रक्रिया को तेज कर सकती है। एक सच्ची जनवादी लोकतंत्र के लिए न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान आवश्यक है। इस संदर्भ में, सार्वजनिक बैठकों में शब्द चयन पर अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। मीडिया को भी सुचारु रूप से रिपोर्टिंग करनी चाहिए, ताकि तथ्यात्मक जानकारी प्रचलित हो। भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए राजनीतिक संवाद में सम्मानजनक भाषा अपनायी जानी चाहिए। अंततः, चुनाव की निष्पक्षता और शांति बनाए रखने के लिए सभी पक्षों को सहयोग करना चाहिए।
Sandeep Chavan
जून 7, 2024 AT 14:59ऐसे नोटिस से चुनावी माहौल और गरम हो जाता है।
anushka agrahari
जून 14, 2024 AT 13:39याद रखें कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में शब्दों का आदर ही सामाजिक शांति का मूल स्तंभ है। यदि प्रत्येक नेता अपने बयान में संतुलन रखे तो मतदाताओं का विश्वास भी मजबूत होगा। आयोग की भूमिका इस संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण है, और उसके निर्णयों को समझदारी से स्वीकारना चाहिए। सकारात्मक सोच के साथ हम सभी इस प्रक्रिया को स्वस्थ बना सकते हैं।
aparna apu
जून 21, 2024 AT 12:19ओह माय गॉड!!! यह पूरी सिचुएशन बिल्कुल टीवी की ड्रामा सी लग रही है 🙈🙉🙊, गांगुली ने जो कहा वो बिल्कुल भी सेंस नहीं बनाता, और फिर भी जनता का रिएक्शन ऐसा है जैसे किसी बड़े स्कैंडल का प्रोमोशन हो गया है 😂😂। वीडियो को फर्जी कहा, फिर भी वह वायरल हो रहा है, जैसे कि सच्चाई और झूठ के बीच की लाइन्स धुंधली हो गई हों। इस तरह के राजनीतिक शोक्ल में हर कोई अपनी-अपनी भूमिका निभा रहा है, और हम सब दर्शक बनकर देखते रह जाते हैं। चुनाव आयोग का नोटिस एक तरह का ब्रेक है, जो इस नाटक को थोड़ी देर के लिए ठहराता है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इस ठहराव से आगे का रिटर्न एक साफ‑सुथरा राजनीति होगी? उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे विवाद कम होंगे और जनता को सही जानकारी मिलती रहेगी। 😅
arun kumar
जून 28, 2024 AT 10:59हमें समझना चाहिए कि किन परिस्थितियों में नेता ऐसे शब्द निकाल लेते हैं, अक्सर तनाव और दबाव का असर होता है। लेकिन सार्वजनिक मंच पर सम्मानजनक भाषा रखना ज़रूरी है, वरना मतदाता निराश हो जाते हैं। चुनाव आयोग का कदम इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
Karan Kamal
जुलाई 5, 2024 AT 09:39भाजपा को चाहिए कि वह अपने उम्मीदवारों की सार्वजनिक टिप्पणियों पर सख्त नियंत्रण रखे, ताकि भविष्य में ऐसे विवाद न उत्पन्न हों।
Navina Anand
जुलाई 12, 2024 AT 08:19इस मामले में सभी पक्षों को शांतिपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
Prashant Ghotikar
जुलाई 19, 2024 AT 06:59नोटिस मिलने से यह स्पष्ट हो जाता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नियमों का पालन अनिवार्य है। यह कदम गांगुली को केवल चेतावनी नहीं, बल्कि सभी उम्मीदवारों को एक चेतावनी देता है। साथ ही यह दर्शाता है कि चुनाव आयोग निष्पक्षता को प्राथमिकता देता है। इसलिए हमें इस प्रक्रिया का समर्थन करना चाहिए।
Sameer Srivastava
जुलाई 26, 2024 AT 05:39भाईसाहब, असली बात यह है कि गँगुली की शब्दावली में बेतुकापन दिखता है, और आयोग की कार्रवाई ठीक है, लेकिन राजनीति में एसे बड़बड़ान से जनता थक गई है, क्विक रिज्पॉन्स चाहिए!!!
Mohammed Azharuddin Sayed
अगस्त 2, 2024 AT 04:19ऐसे नोटिस से यह समझ आता है कि नियमों का पालन ही लोकतंत्र की असली ताकत है, और सभी पार्टियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।
Avadh Kakkad
अगस्त 9, 2024 AT 02:59वास्तव में, आयोग की यह कार्रवाई पिछले कई मामलों में देखी गई precedent पर आधारित है, और इसका उद्देश्य चुनावी संचालन में शुद्धता बनाए रखना है।
Sameer Kumar
अगस्त 16, 2024 AT 01:39इन घटनाओं से भारतीय राजनीति में सामाजिक संवेदनशीलता की कमी स्पष्ट हो रही है, हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर अधिक सजग होना चाहिए।
naman sharma
अगस्त 23, 2024 AT 00:19विशिष्ट समूहों द्वारा इस मुद्दे को हवा बनाने की रणनीति को देखते हुए, यह स्पष्ट हो जाता है कि कुछ शक्ति संरचनाएँ अपनी छिपी हुई एजेंडा को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, और चुनाव आयोग का हस्तक्षेप केवल सतह पर एक औपचारिक कदम है।