प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे, जिससे वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले तीन बार कार्यकाल संभालने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने राजनीतिक समीकरणों को नई दिशा दी है। मोदी ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और इस्तीफा देते हुए सरकार गठन का दावा पेश किया।
भाजपा की संसदीय स्थिति
हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 240 सीटें जीतीं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम हैं। हालांकि, भाजपा को एनडीए यानी राष्ट्रवादी लोकतांत्रिक गठबंधन के 53 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जिससे एनडीए की कुल सीटें 293 हो जाती हैं। इसलिए, भाजपा तीसरे कार्यकाल के लिए सरकार बनाने में सक्षम हो सकी है।
मोदी की जीत और विपक्ष की रणनीति
मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी लोकसभा सीट से जीत हासिल की, जहां उन्होंने कांग्रेस के अजय राय को 1.5 लाख से कम अंतर से हराया। विपक्षी गठबंधन, जिसे कांग्रेस द्वारा नेत्रत्व में खड़ा किया गया था, ने 232 सीटें जीतीं हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि एनडीए की इस सफलता में सहयोगी दलों के नेताओं जैसे तेलुगू देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यू) के नीतीश कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
भाजपा का प्रदर्शन
जहां भाजपा ने ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं तमिलनाडु में पार्टी एक भी सीट जीतने में असफल रही। इसके बावजूद, पार्टी ने केरल में पहली बार लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की, जो एक ऐतिहासिक सफलता मानी जा रही है।
विश्व नेताओं द्वारा बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक जीत पर विश्व के नेताओं ने बधाई संदेश भेजे हैं, जिनमें चीन भी शामिल है। पीएम मोदी ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में एक विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की जनता ने एक बार फिर एनडीए में विश्वास जताया है।
भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर
मोदी के तीसरे कार्यकाल से देश में कई उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। नई सरकार को महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू करने, विदेश नीति में स्थिरता बनाए रखने और सामाजिक समरसता को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने होंगे। साथ ही, देश में बढ़ रही आंतरिक और बाह्य चुनौतियों का भी सटीक समाधान निकालना होगा।
इस ऐतिहासिक शपथ समारोह का पूरा देश और विश्व समुदाय बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहा है, जहां नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री के पद की शपथ लेंगे। यह निश्चित रूप से भारतीय राजनीति के एक नए अध्याय की शुरुआत होगी।
Karan Kamal
जून 5, 2024 AT 16:43शपथ समारोह का इतिहासिक महत्व भारतीय लोकतंत्र में नई ऊर्जा का संकेत है। तीसरी बार शपथ लेना कोई छोटी बात नहीं, यह दिखाता है कि जनविश्वास अभी भी मजबूत है। साथ ही यह देखना जरूरी है कि सरकार किस दिशा में नीति तय करेगी, ताकि विकास की गति टिकाऊ बनी रहे।
Navina Anand
जून 6, 2024 AT 21:53यह देख कर खुशी होती है कि दोहराए जाने वाले अनुभव से शासन में स्थिरता आ सकती है। आशा है कि अगला कार्यकाल सभी के लिए समावेशी रहेगा।
Prashant Ghotikar
जून 8, 2024 AT 01:40तीसरे कार्यकाल की शपथ भारतीय जनता के भरोसे को दर्शाती है। विभिन्न राज्यों में मोदी सरकार की जीत विभिन्न कारणों से जुड़ी है। सहयोगी दलों का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारक रहा है। आने वाले दिनों में नीति निर्माण में पारदर्शिता बढ़ेगी, यह उम्मीद की जा रही है।
Sameer Srivastava
जून 9, 2024 AT 05:26वाह!!! ये तो बिल्कुल रोचक बात है!! मोदी जी की जिंदादिली और पूरे देश की ऊर्जा को देखना दिलसे अच्छा लगता है!!! लेकिन!! हमें देखना होगा कि आगे किन-किन फैसलों से असली बदलाव आता है!!!
Mohammed Azharuddin Sayed
जून 10, 2024 AT 09:13तीसरे कार्यकाल में आर्थिक सुधारों की दिशा महत्वपूर्ण होगी। विदेश नीति में स्थिरता भी आवश्यक है, क्योंकि वैश्विक चुनौतियां बढ़ रही हैं। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना अभियान का एक मूलभूत हिस्सा होना चाहिए। इन बिंदुओं पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है।
Avadh Kakkad
जून 10, 2024 AT 23:06भविष्य की नीतियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
Sameer Kumar
जून 11, 2024 AT 13:00इस ऐतिहासिक शपथ समारोह में दर्शाया गया है कि लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी नागरिकों की सहभागिता पर निर्भर करती है। विकास की राह में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान देना होगा। अब तक की उपलब्धियों को आधार बनाकर नई पहलें शुरू करनी चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि आर्थिक स्थिरता के लिये वित्तीय अनुशासन आवश्यक है। सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिये विविध संस्कृतियों का सम्मान करना अनिवार्य है। विदेश नीति में निरंतरता बनाए रखना राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है। तकनीकी नवाचार और स्टार्टअप्स को समर्थन देना रोजगार सृजन का मार्ग हो सकता है। ऊर्जा के सतत स्रोतों पर निवेश भविष्य की सुरक्षा देता है। कृषि क्षेत्र में किसानों की आय बढ़ाने के लिए सहायक नीतियों की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना न भूलें। युवा वर्ग को सशक्त बनाने के लिये उनके विचारों को मंच देना चाहिए। सभी विभागों के बीच समन्वय की भावना को सुदृढ़ करना आवश्यक है। अंत में, लोकतंत्र के मूल सिद्धांत-स्वतंत्रता, समानता और न्याय-को कभी नहीं भुलाना चाहिए।
naman sharma
जून 12, 2024 AT 16:46तृतीय शपथ समारोह के पीछे निहित रणनीतिक अभिप्राय को समझना अनिवार्य है। उच्चस्तरीय अधिकारियों के गठबंधन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं से यह स्पष्ट होता है कि कई स्तरों पर प्रवर्तित योजना मौजूद हो सकती है। इस संदर्भ में, सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत नीति विवरणों पर सतर्क रहना आवश्यक है।