आईटीआर – क्या है और कैसे फाइल करें?
जब हम आईटीआर, इंडियन टैक्स रिटर्न का संक्षिप्त परिचय. Also known as Income Tax Return, it व्यक्तियों और कंपनियों को अपने आय, खर्च और टैक्स देनदारी का वार्षिक विवरण देता है, तो फाइलिंग का तरीका समझना जरूरी हो जाता है। रोज़मर्रा की खबरें – जैसे नई कार की कीमत, शेयर मार्केट गिरावट या GST में बदलाव – सभी सीधे या परोक्ष रूप से आपके टैक्स बिल को प्रभावित करती हैं। इसलिए आईटीआर को केवल एक फॉर्म नहीं, बल्कि वित्तीय योजना का अहम हिस्सा मानें।
मुख्य घटक और उनके आपसी संबंध
पहला प्रमुख घटक है आयकर रिटर्न, वर्ष भर की आय का आधिकारिक रिकॉर्ड। यह रिटर्न आवश्यक है क्योंकि बिना इसके आप बैंक ऋण, बीमा पॉलिसी और शेयर निवेश जैसे लाभ नहीं ले सकते। दूसरा घटक GST सुधार, वस्तु एवं सेवा कर में हुए नवीनतम परिवर्तन है, जिसका असर सीधे आपके बिज़नेस एक्सपेंस और अंततः टैक्सेबल इनकम पर पड़ता है। तीसरा घटक स्टॉक मार्केट, शेयर बज़ार में ट्रेडिंग और पूँजी लाभ है; शेयर बेचने या खरीदने पर उत्पन्न होने वाले कैपिटल गेन या लॉस को ITR में दिखाना अनिवार्य है। इन तीनों (आयकर रिटर्न, GST सुधार, स्टॉक मार्केट) को जोड़कर हम एक स्पष्ट त्रिपुट बनाते हैं: आईटीआर → आयकर रिटर्न → GST → स्टॉक मार्केट।
एक साधारण उदाहरण लें: यदि आप निस्सान के नया टेकटन SUV (≈10.5 लाख) खरीदते हैं, तो गाड़ी की कीमत पर लागू GST और डिप्रिशिएशन दोनों को ITR में दिखाना पड़ता है। इसी तरह, यदि Nifty 25,000 से नीचे गिरता है, तो आपके पोर्टफ़ोलियो में हुए नुकसान को कैपिटल लॉस के रूप में दर्ज कर सकते हैं, जिससे टैक्स भुगतान घट सकता है। इस तरह प्रत्येक समाचार, चाहे वह मौसम अलर्ट हो या नई तकनीक का लॉन्च, आपके टैक्स प्लान को प्रभावित करता है। इसलिए टैक्स फाइलिंग को अलग‑अलग घटनाओं से जोड़ना न सिर्फ समझदारी है, बल्कि किफायत भी देता है।
अब बात करते हैं फाइलिंग की मुख्य प्रक्रिया की। सबसे पहले, फॉर्म 16A, बैंक स्टेटमेंट और निवेश प्रमाण पत्र इकट्ठा करें। फिर ऑनलाइन पोर्टल (आधार‑लिंक्ड) पर लॉगिन करके अपने आय की श्रेणियाँ (सैलरी, फ्रेमवर्क, कैपिटल gains) भरें। यदि GST सुधार के कारण आप अपने इनपुट टैक्स क्रेडिट को अपडेट कर रहे हैं, तो उसे “इन्पुट टैक्स क्रेडिट” सेक्शन में जोड़ें। अंत में, प्रीव्यू देखें, सही‑गलत जांचें और सबमिट करें। सबमिशन के बाद, आयकर विभाग का “आवंटन” (अस्सेसमेंट) आपके टैक्स दायित्व को अंतिम रूप देता है।
फ़ाइलिंग के बाद कुछ महत्वपूर्ण बातें याद रखें: पहला, आइटीआर का स्वीकृति मिलने पर आगे के वित्तीय लेन‑देन (जैसे ऋण, बीमा) आसान होते हैं; दूसरा, टैक्स बचत के उपाय – जैसे सेक्शन 80C के तहत पेंशन, ELSS, या हाउस लॉन रेंट – को लगातार अपडेट रखें; तीसरा, किसी भी गलती या संशोधन को “आवर्सनमेंट” के जरिए तुरंत सुधारें, ताकि दंड से बचा जा सके। इन कदमों से आप न केवल अपने टैक्स बोझ को कम करेंगे, बल्कि वित्तीय स्वास्थ्य भी बेहतर बनाएँगे।
यह पेज अब आपको अनेक लेखों और अपडेट की सूची देगा – नई कार की कीमत, स्टॉक मार्केट की चाल, GST नियमों की बदलती दिशा, और वित्तीय योजना से जुड़ी हर छोट‑छोट बात। आइए, नीचे आपके लिए तैयार किए गए पोस्ट देखें और अपनी टैक्स रिलेटेड जानकारी को और भी गहराई से समझें।
- Nikhil Sonar
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कर ऑडिट की अंतिम तिथि नहीं बढ़ी: देर से दाखिल करने पर भारी जुर्माना और ब्याज
आयकर विभाग ने कर ऑडिट के लिए 30 सितंबर 2025 की अंतिम तिथि बरकरार रखी है, जबकि व्यक्तिगत करदाताओं को एक दिन की रियायत दी गई। देर से दाखिल करने पर सेक्शन 234A के तहत 1% माह के हिसाब से ब्याज और सेक्शन 234F के अंतर्गत ₹5,000 तक का जुर्माना लगता है। ऑडिट रिपोर्ट न देने पर वि. VI‑A के कई छूट भी रद्द हो जाती हैं। कंपनियों के लिए फॉर्म 3CEB का समय अलग है, पर ऑडिट की डेडलाइन वही रहती है।