डुप्लिकेट नाम: क्यों होते हैं ऐसे नाम और उनका असर

जब आप किसी के नाम से पूछते हैं और उत्तर में सुनते हैं कि डुप्लिकेट नाम, वह नाम जो एक से ज्यादा लोगों में एक समान रूप से प्रयोग हो रहा है, तो ये बात आपको अजीब लग सकती है। लेकिन भारत में ये नाम अब सामान्य हो चुके हैं। एक शहर में तीन राहुल, दो सुमित, और चार प्रिया—ये कोई अपवाद नहीं, बल्कि नियम है। डुप्लिकेट नाम का मतलब सिर्फ यह नहीं कि कोई नाम ज्यादा लोकप्रिय है, बल्कि यह भी कि हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक प्रणाली ने नामों को एक तरह का ब्रांड बना दिया है।

इसकी वजह क्या है? पहली बात—भारतीय नाम, सामाजिक परंपराओं, धार्मिक ग्रंथों और राजनीतिक प्रभावों से प्रेरित नामों का समूह। जब सभी माता-पिता अपने बच्चे को राम, श्याम, अनु, रितिक नाम देना चाहते हैं, तो ये नाम अकेले नहीं रहते। दूसरी बात—नाम अनुपात, एक ही नाम के लिए बहुत ज्यादा लोगों का आवेदन करना। आधिकारिक दस्तावेजों में ये नाम एक-दूसरे से भ्रमित हो जाते हैं। बैंक खाते, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस—हर जगह एक ही नाम लिखा होता है। अब ये सिर्फ नाम नहीं, बल्कि एक नाम दुरुपयोग, जब एक व्यक्ति दूसरे के नाम का उपयोग अपने लाभ के लिए करता है का रूप ले लेता है। क्या आपने कभी सोचा कि कोई आपके नाम से लोन ले सकता है? ये संभव है।

इसके अलावा, नाम विविधता, अलग-अलग सांस्कृतिक और भाषाई समूहों में नामों की विविधता कम हो रही है। जहाँ पहले एक गाँव में दर्जनों अलग-अलग नाम होते थे, अब वहीं दो तीन नाम ही चल रहे हैं। इसका असर न सिर्फ आधिकारिक दस्तावेजों पर पड़ता है, बल्कि सोशल मीडिया, नौकरियों, और यहाँ तक कि न्याय प्रणाली में भी। एक नाम के साथ लाखों लोगों की पहचान जुड़ जाती है। ये सिर्फ एक नाम की बात नहीं, बल्कि एक अस्तित्व की बात है।

आपके आसपास भी ऐसे ही नाम होंगे—जिनके साथ आप अक्सर भ्रमित हो जाते हैं। ये नाम अब केवल एक शुरुआती चिह्न नहीं, बल्कि एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन चुके हैं। इस लिस्ट में आपको ऐसे ही कई मामले मिलेंगे—जहाँ नाम ने जिंदगी बदल दी। क्रिकेटरों के नाम, फिल्मी चरित्रों के नाम, यहाँ तक कि एक लॉटरी विजेता का नाम भी दोहराया गया है। ये सब आपको बताते हैं कि नाम सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक पहचान है। और जब वो पहचान दोहराई जाए, तो क्या होता है? आइए देखते हैं।

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: 50 लाख नाम हटाए जाने की संभावना, मतदाता सूची की अंतिम तारीख 6 फरवरी 2026 तक बढ़ाई 23 नवंबर 2025

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: 50 लाख नाम हटाए जाने की संभावना, मतदाता सूची की अंतिम तारीख 6 फरवरी 2026 तक बढ़ाई

उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव की मतदाता सूची की अंतिम तारीख 6 फरवरी 2026 तक बढ़ा दी है, जिसमें 50 लाख डुप्लिकेट नाम हटाए जाने की संभावना है। विशेष रूप से पीलीभीत, वाराणसी और हापुड़ में एक ही व्यक्ति के बहुत से नाम पाए गए हैं।