उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: 50 लाख नाम हटाए जाने की संभावना, मतदाता सूची की अंतिम तारीख 6 फरवरी 2026 तक बढ़ाई

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: 50 लाख नाम हटाए जाने की संभावना, मतदाता सूची की अंतिम तारीख 6 फरवरी 2026 तक बढ़ाई

उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों की तैयारियों में बड़ा बदलाव आया है। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की अंतिम प्रकाशन तारीख 15 जनवरी 2026 से बढ़ाकर 6 फरवरी 2026 कर दी है। इसका मकसद स्पष्ट है — लगभग 50 लाख डुप्लिकेट नामों को साफ करना, जो अलग-अलग इलाकों में एक ही व्यक्ति के नाम से दर्ज हैं। ये नाम न सिर्फ चुनाव की पारदर्शिता को खतरे में डाल रहे हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी चुनौती दे रहे हैं।

क्यों इतनी देरी?

ये देरी बिल्कुल अचानक नहीं आई। जून 2025 से ही मतदाता सूची सुधार का काम शुरू हो चुका था — मृत व्यक्तियों के नाम हटाने और नए मतदाताओं को जोड़ने के लिए। लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही ने सब कुछ धीमा कर दिया। अगस्त 2025 में राज्य चुनाव आयोग ने सभी जिलों को डुप्लिकेट नाम हटाने का आदेश दिया था, लेकिन अधिकारियों ने इसे बिल्कुल नजरअंदाज किया। अब जब तारीखें खत्म होने वाली हैं, तो आयोग ने बड़े पैमाने पर सुधार का फैसला किया।

कितने नाम डुप्लिकेट हैं?

मौजूदा मतदाता सूची में 12.43 करोड़ मतदाता दर्ज हैं। इनमें से लगभग 2.27 करोड़ नाम डुप्लिकेट पाए गए हैं — यानी 90.76 लाख व्यक्तियों के नाम दो या तीन बार अलग-अलग इलाकों में दर्ज हैं। ये समस्या खासकर पीलीभीत, वाराणसी, बीजनोर और हापुड़ जिलों में बहुत गंभीर है। कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति का नाम तीन अलग-अलग ग्राम पंचायतों में दर्ज था। ऐसे नाम चुनाव में धोखेबाजी का रास्ता खोलते हैं।

ब्लो 'अपके द्वार' अभियान: घर-घर जाकर जांच

इस बार आयोग ने एक अनूठा तरीका अपनाया है — ब्लो 'अपके द्वार' अभियान। अगस्त 19 से सितंबर 29 तक, बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की पहचान करेंगे। वे नए मतदाताओं को जोड़ेंगे, मृत या स्थानांतरित लोगों के नाम हटाएंगे, और गलत जानकारी सुधारेंगे। ये वास्तविक जनता के संपर्क में आने का एक अवसर है — जहां लोग अपने नाम की जांच कर सकते हैं और गलतियां सुधार सकते हैं।

अगले महीनों का शेड्यूल: एक जटिल चक्र

अब ये तारीखें बदल गई हैं:

  • 23 दिसंबर 2025: ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित
  • 31 दिसंबर 2025 से 6 जनवरी 2026: आपत्ति और दावों का समय
  • 10 दिसंबर 2025: कंप्यूटराइज्ड सूची तैयार
  • 22 दिसंबर 2025: मतदान केंद्रों का नंबर और वार्ड मैपिंग पूरा
  • 30 जनवरी से 5 फरवरी 2026: अंतिम जांच, वोटर सीरियल नंबर, डाउनलोडिंग

इस पूरी प्रक्रिया का नेतृत्व उत्तर प्रदेश राज्य चुनाव आयोग, लखनऊ में कर रहा है। लेकिन यहां एक बड़ी चुनौती है — वहीं विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए भी विशेष तीव्र संशोधन (SIR) चल रहा है। इसकी वजह से पंचायत चुनाव की तैयारियां दोहरी भारी हो गई हैं।

चुनाव का राजनीतिक महत्व: 2027 के लिए सेमीफाइनल

ये पंचायत चुनाव केवल स्थानीय स्तर की बात नहीं हैं। ये 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे हैं। जिला स्तर पर पार्टियों का असर, ग्रामीण नेताओं की लोकप्रियता, और वोटर बेस की स्थिरता — सब कुछ यहीं तय होगा। 2021 के चुनाव में चार चरणों में मतदान हुआ था। इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना है। चुनाव नोटिफिकेशन जनवरी 2026 में जारी होगा, और मतदान फरवरी-मार्च 2026 में होगा।

नए वोटर, नए नियम

कुछ जिलों में नए वोटरों की संख्या भी बहुत अधिक है। उदाहरण के लिए, सीतापुर जिले में अकेले 4 लाख नए मतदाताओं को जोड़ा जाना है। ये सब युवाओं के वोट हैं — जो पहली बार चुनाव में हिस्सा लेंगे। इसलिए आयोग ने ऑनलाइन पोर्टल sec.up.nic.in/OnlineVoters/AppyModificationPRI.aspx भी चलाया है, जहां नागरिक अपने नाम की जांच और सुधार कर सकते हैं। लेकिन यहां एक बड़ी समस्या है — ज्यादातर ग्रामीण लोग इस वेबसाइट के बारे में नहीं जानते। इसलिए ब्लो अभियान का अहम भूमिका है।

क्या बदलाव हुआ है जिला स्तर पर?

2021 के बाद से जिला स्तर पर कई बदलाव हुए हैं। अब उत्तर प्रदेश में 57,695 ग्राम पंचायतें हैं — 512 कम हो गईं। ये नए सीमांकन ने चुनाव क्षेत्रों को फिर से बांट दिया है। अब हर ग्राम पंचायत के लिए वोटर सूची अलग-अलग है, और इसे अधिक सटीक बनाने की जरूरत है। इसलिए आयोग ने हर ग्राम पंचायत के लिए अलग-अलग जांच टीम बनाने का आदेश दिया है। ये टीमें न केवल नाम जांचेंगी, बल्कि उनकी आधार कार्ड, आधिकारिक पहचान और निवास प्रमाण भी जांचेंगी।

क्या अब भी डर है?

हां। डर यह है कि अगर अंतिम तारीख तक डुप्लिकेट नाम हटाए नहीं गए, तो चुनाव न्यायपालिका के सामने आ जाएंगे। पिछली बार भी चुनाव के बाद अनेक अवैध वोटों के मामले आए थे। अब आयोग का जवाबदेही बढ़ गया है। जिला आयुक्तों को अब अपने जिले की सूची की जांच करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। अगर कोई जिला अपना काम नहीं करेगा, तो उसके अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

मतदाता सूची में अपना नाम नहीं मिल रहा है, क्या करूं?

अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आप ऑनलाइन पोर्टल sec.up.nic.in/OnlineVoters/AppyModificationPRI.aspx पर नया आवेदन कर सकते हैं। या फिर अपने बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) से संपर्क करें। ब्लो 'अपके द्वार' अभियान के दौरान वे घर-घर जाकर आपका नाम जोड़ देंगे। आवेदन के लिए आधार कार्ड और पते का प्रमाण जरूरी है।

डुप्लिकेट नाम क्यों इतने ज्यादा हैं?

कई ग्रामीण इलाकों में नाम लिखने के लिए ब्लो या पंचायत सचिव आधार कार्ड नहीं देखते — बस वाणिज्यिक या राजनीतिक दबाव में नाम जोड़ देते हैं। कई बार एक ही व्यक्ति अपने बेटे, भाई या रिश्तेदार के नाम से अलग-अलग गांव में दर्ज हो जाता है। इसका फायदा वोट बैंक बढ़ाने के लिए लिया जाता है।

क्या ये सुधार चुनाव के नतीजों को बदल सकते हैं?

बिल्कुल। 50 लाख डुप्लिकेट नाम हटाने से कई ग्राम पंचायतों में वोटर बेस बदल जाएगा। जहां पिछली बार किसी उम्मीदवार को 1000 वोट अधिक मिले थे, वहां अब वोट बराबर हो सकते हैं। ये असली लोकतंत्र की शुरुआत है — जहां वोट नहीं, बल्कि विश्वास जीतता है।

2027 के विधानसभा चुनाव से इसका क्या संबंध है?

पंचायत चुनाव गांव के नेताओं को चुनने का मौका देते हैं — जो बाद में विधानसभा में उम्मीदवार बनते हैं। अगर कोई नेता अपने गांव में विश्वास बना लेता है, तो वह जिला और राज्य स्तर पर भी मजबूत होता है। ये चुनाव एक राजनीतिक टेस्ट है — कौन असली लोकप्रिय है और कौन बस नाम से चल रहा है।

क्या ये बदलाव अन्य राज्यों के लिए मिसाल हो सकते हैं?

जी हां। उत्तर प्रदेश का यह अभियान देश का सबसे बड़ा मतदाता सुधार प्रयास है। अगर ये सफल होता है, तो बिहार, मध्य प्रदेश और बंगाल जैसे राज्य भी इसे अपनाएंगे। ये न केवल चुनाव की पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि जनता को यकीन दिलाएगा कि उनका वोट असली है।

क्या ग्रामीण लोग इस प्रक्रिया को समझ पाएंगे?

अभी तक बहुत से ग्रामीण लोग यह नहीं जानते कि उनका नाम सूची में है या नहीं। लेकिन ब्लो अभियान ने इस अंतराल को कम किया है। अब लोग अपने गांव के बूथ अधिकारी से सीधे बात कर सकते हैं। ये वास्तविक शिक्षा है — जहां लोग अपने अधिकारों को जानते हैं, और उनका इस्तेमाल करते हैं।