19 नवंबर, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन में दो राज्यों में ऐतिहासिक घटनाओं का संकेत दिया — एक भक्ति की गहराई और दूसरा कृषि क्रांति की शुरुआत। शाम के समय तक, उन्होंने आंध्र प्रदेश के पुत्तपर्थी में श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किए, और फिर तमिलनाडु के कोयम्बटूर में दक्षिण भारत के किसानों के लिए नेचुरल फार्मिंग समिट का उद्घाटन किया। यह दिन सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आर्थिक संकल्प का प्रतीक था।
श्री सत्य साई बाबा की जयंती पर भक्ति और यादगारी
सुबह 10 बजे, प्रधानमंत्री मोदी आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के पुत्तपर्थी में श्री सत्य साई बाबा के महासमाधि स्थल पर पहुंचे। वहां उन्होंने अपने विचारों को शांति से समर्पित किया, जैसा कि लाखों भक्त करते हैं। लेकिन यह दिन सिर्फ आस्था का नहीं था — इसका एक औपचारिक आयोजन भी था। 10:30 बजे, उन्होंने श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी के अवसर पर श्री सत्य साई बाबा जयंती समारोह के दौरान श्री सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट के साथ जुड़े संस्थानों को समर्पित चार ₹5 के डाक टिकट और एक ₹100 का स्मारक सिक्का जारी किया।
इस कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, सिविल एविएशन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापु और कोयला एवं खनिज मंत्री जी किशन रेड्डी भी मौजूद रहे। यह एक अनूठा मिश्रण था — धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक प्रतीक और राष्ट्रीय नेतृत्व का संगम। सिक्के पर बाबा की छवि के साथ-साथ उनके द्वारा स्थापित अस्पतालों और विश्वविद्यालयों के चित्र भी थे, जो उनके शिक्षा और सेवा के संदेश को दर्शाते थे।
दक्षिण भारत की खेती की नई दिशा: नेचुरल फार्मिंग समिट 2025
दोपहर 1:30 बजे, प्रधानमंत्री मोदी कोयम्बटूर पहुंचे, जहां दक्षिण भारत नेचुरल फार्मिंग समिट 2025 का उद्घाटन हुआ। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम तमिलनाडु नेचुरल फार्मिंग स्टेकहोल्डर्स फोरम द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य केमिकल-मुक्त, जलवायु-अनुकूल और आर्थिक रूप से स्थायी कृषि प्रणाली को बढ़ावा देना है।
मोदी ने अपने भाषण में कोयम्बटूर को ‘संस्कृति, करुणा और रचनात्मकता की भूमि’ कहा और इसे दक्षिण भारत की उद्यमशीलता का केंद्र बताया। उन्होंने लॉर्ड मुरुगन के मारुधामलई मंदिर को संबोधित करते हुए कहा, ‘यहां की मिट्टी न केवल फसलों को उगाती है, बल्कि जीवन के नैतिक मूल्यों को भी जन्म देती है।’
पीएम-किसान का 21वां किस्त: ₹18,000 करोड़ का बड़ा बड़ा बदलाव
समिट के शुरू होने से पहले ही, प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) का 21वां किस्त जारी किया — ₹18,000 करोड़ की राशि, जो 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की गई। इसमें तमिलनाडु के लाखों किसान शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक पीएम-किसान के तहत ₹4 लाख करोड़ किसानों के खातों में पहुंच चुके हैं। यह राशि अक्सर बीज, खाद और बिजली के बिलों के लिए उपयोग की जाती है। एक किसान परिवार को वार्षिक ₹6,000 की सहायता मिलती है, जो तीन बराबर किस्तों में दी जाती है।
तमिलनाडु में नेचुरल फार्मिंग का बड़ा बदलाव
मोदी ने खास तौर पर तमिलनाडु के लिए एक अहम आंकड़ा दिया — 35,000 हेक्टेयर भूमि अब नेचुरल फार्मिंग के तहत आ चुकी है। यह उस राज्य में जलवायु-अनुकूल खेती के लिए एक अभूतपूर्व विस्तार है।
उन्होंने कहा कि एक साल पहले केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नेचुरल फार्मिंग मिशन शुरू किया था, जिसके तहत लाखों किसानों को ट्रेनिंग और समर्थन दिया गया। अब यह असर दक्षिण भारत में स्पष्ट दिख रहा है। तमिलनाडु के किसान अब अपने फसलों को रासायनिक खाद के बिना उगा रहे हैं — और उनकी आय भी बढ़ रही है।
ग्लोबल मार्केट के लिए नेचुरल फूड की तैयारी
मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब अपने नेचुरल फूड्स को वैश्विक बाजारों में भेजने की तैयारी कर रहा है। ‘हम अपने अनाज, फल और सब्जियों को यूरोप, अमेरिका और एशिया के ग्राहकों तक पहुंचाना चाहते हैं,’ उन्होंने कहा। ‘यह सिर्फ खेती नहीं, बल्कि भारत की नई पहचान है।’
समिट में विशेषज्ञों, किसान संगठनों और निजी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्होंने नेचुरल फार्मिंग के लिए बाजार निर्माण, लॉजिस्टिक्स और ब्रांडिंग पर चर्चा की।
क्या आगे क्या है?
अगले दो दिनों में, समिट में विभिन्न राज्यों के किसानों के अनुभव साझा किए जाएंगे। एक नई डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च की जाएगी, जिस पर किसान अपने नेचुरल उत्पादों को बेच सकेंगे। सरकार ने भी घोषणा की है कि अगले वित्तीय वर्ष में नेचुरल फार्मिंग के लिए अतिरिक्त ₹5,000 करोड़ का बजट आवंटित किया जाएगा।
एक किसान ने कहा, ‘हम पहले खाद के लिए बैंक लोन लेते थे। अब हम अपने घर के गोबर से खाद बनाते हैं — और बाजार में उसकी कीमत दोगुनी है।’
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पीएम-किसान का 21वां किस्त किस तरह किसानों की मदद करता है?
इस किस्त के तहत ₹18,000 करोड़ सीधे 9 करोड़ किसान परिवारों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए। हर परिवार को ₹6,000 प्रति वर्ष मिलता है, जो बीज, खाद, बिजली और अन्य खर्चों के लिए उपयोगी है। यह धन ऋण की भार से मुक्ति दिलाता है और आय का स्थिर स्रोत बनाता है।
नेचुरल फार्मिंग क्यों दक्षिण भारत में इतनी तेजी से फैल रही है?
दक्षिण भारत में किसानों की सामुदायिक संगठन शक्ति, जलवायु अनुकूल खेती की परंपरा और सरकारी प्रशिक्षण का मिश्रण इसका कारण है। तमिलनाडु में 35,000 हेक्टेयर भूमि पर इस तकनीक को अपनाया गया है, जहां फसलों की गुणवत्ता और बाजार मूल्य दोनों बढ़े हैं।
श्री सत्य साई बाबा के स्मारक सिक्के और टिकटों का क्या अर्थ है?
यह सिक्का और टिकट उनकी जन्म शताब्दी की याद में जारी किए गए हैं। इन पर उनकी छवि और उनके संस्थानों के चित्र हैं, जो उनके शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के संदेश को दर्शाते हैं। यह राष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिक विरासत की पहचान है।
क्या नेचुरल फार्मिंग बड़े किसानों के लिए भी लाभदायक है?
हां। यह तकनीक छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए लाभदायक है। बड़े किसानों को इससे निर्यात के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उत्पाद बनाने में मदद मिलती है। तमिलनाडु में कुछ बड़े खेतों ने अब यूरोप में नेचुरल आयुर्वेदिक उत्पादों की आपूर्ति शुरू कर दी है।
क्या यह नेचुरल फार्मिंग जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करेगी?
हां। रासायनिक खाद और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने से भूमि की उर्वरता बनी रहती है और जल स्रोतों का प्रदूषण कम होता है। एक अध्ययन के अनुसार, नेचुरल फार्मिंग के तहत कृषि से कार्बन उत्सर्जन में 30-40% की कमी होती है।
अगले कदम क्या हैं?
सरकार एक राष्ट्रीय नेचुरल फूड ब्रांड लॉन्च करने की योजना बना रही है, जिसके तहत भारत के उत्पादों को विदेशी बाजारों में बेचा जाएगा। इसके लिए एक डिजिटल मार्केटप्लेस और एक निर्यात वित्तीय सुविधा भी तैयार की जा रही है।