विजयदशमी – भारत की सबसे बड़ी बहार

जब विजयदशमी, हिंदू कैलेंडर के आश्विन महीना के अंतिम दिन मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है, जो रावण के बिनास से बुराई पर विजय की प्रतीक है, भी कहा जाता है दशहरा, तो एक ही क्षण में इतिहास, धार्मिकता और सामाजिक आनंद जुड़ जाता है। इस महोत्सव के मुख्य पात्रों में रावण, नौ सिर वाला राक्षस जिसका पराजय भगवान राम ने किया और देवी शत्रुघ्न, धनुर्विद्या की गुरु और शक्ति की प्रतीक शामिल हैं, जो विजयदशमी को कथा, पूजा और नाट्य रूप में जीवंत बनाते हैं। यह त्यौहार न सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान (जैसे अरण्य में शत्रुघ्न की पूजन) बल्कि सामाजिक उत्सव (जैसे पुतुल को जलाना और मेवा बाँटना) का भी संगम है।

विजयदशमी की जैविक और सांस्कृतिक बुनियाद

विजयदशमी, जो शरद ऋतु के अंत में आती है, जमीन की फसल का अंत और अगली फसल की शुरुआत का संकेत देती है; इसलिए किसान इसे धन की बारिश मानते हैं। इस कारण से मेवा, फल और मिठाइयाँ प्रसन्नता के हिस्से बनते हैं। साथ ही, विजयदशमी के दौरान बड़े शहरों में आयताकार राक्षसों की पुतुलें जलाकर बुराई का प्रतीक नष्ट किया जाता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में देवी शत्रुघ्न के अनुक्रम में विभिन्न जातियों के कलाकार नाट्य‑रंगमंच प्रस्तुत करते हैं। इस तरह, यह त्यौहार कला, संगीत और व्यंजन को एक साथ लाता है, जिससे भारतीय संस्कृति में एकात्मता की भावना बढ़ती है।

ऐतिहासिक रूप से, विजयदशमी ने सामाजिक परिवर्तन को भी प्रेरित किया है। कई स्थानों पर इस दिन महिलाओं ने विद्यालय में प्रवेश की घोषणा की, क्योंकि यह शिक्षा की विजय का प्रतीक माना गया। आज के डिजिटल युग में, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म भी इस त्यौहार के लाइव प्रसारण, रिवाजों की वीडियो और श्लाघा-भजन साझा करके एक नई पीढ़ी को जोड़ रहे हैं। जब आप नीचे लेखों को पढ़ेंगे, तो आप देखेंगे कि कैसे विविध क्षेत्रों में विजयदशमी के अलग‑अलग पहलू—आर्थिक लाभ, सामाजिक समानता, पर्यावरणीय जागरूकता—एक ही कथा में समाहित होते हैं। इस संग्रह में आपको समाचार, विशेष रिपोर्ट और विश्लेषण मिलेंगे, जो इस महत्त्वपूर्ण त्यौहार को विभिन्न दृष्टिकोणों से उजागर करेंगे।

अश्विन माह नवमी 01 अक्टूबर 2025: राहु काल, विजयदशमी और गांधी जयंती का संगम 30 सितंबर 2025

अश्विन माह नवमी 01 अक्टूबर 2025: राहु काल, विजयदशमी और गांधी जयंती का संगम

अश्विन माह नवमी (01 अक्टूबर 2025) पर राहु काल, विजयदशमी और गांधी जयंती के संगम से धार्मिक व राष्ट्रीय महत्त्व बढ़ता है। पंचांग के समय‑निर्देशों पर चलें।