बांग्लादेश में छात्रों के घातक प्रदर्शन के बाद सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया

बांग्लादेश में छात्रों के घातक प्रदर्शन के बाद सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद किया गया
  • 17 जुल॰ 2024
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बांग्लादेश: कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों का आंदोलन

बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों का आंदोलन इस सप्ताह हिंसक हो गया, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने सभी सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने का निर्णय लिया है। छात्रों का यह आंदोलन कई सप्ताह से चल रहा था, लेकिन गत मंगलवार को यह हिंसक रूप ले लिया, और इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई, जिसमें तीन छात्र भी शामिल थे। इसके अलावा, दर्जनों लोग घायल हुए हैं।

कोटा प्रणाली का विरोध

छात्रों का मुख्य विरोध 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल 'मुक्तियोधों' के परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरियों में आरक्षित करने के कोटा प्रणाली के खिलाफ है। इस प्रणाली के तहत सरकारी नौकरियों में 30% आरक्षण इन परिवारों के लिए दिया गया है। बांग्लादेश में युवाओं के बीच बेरोजगारी की उच्च दर के कारण यह कोटा प्रणाली छात्रों के बीच आक्रोश का कारण बन गई है।

प्रदर्शनकारियों की मांग

प्रदर्शकारी छात्रों ने सरकार से कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग की है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हालांकि छात्रों की मांगों को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इस मामले में चल रही न्यायिक प्रक्रियाओं के कारण कोटा प्रणाली को तुरंत समाप्त करना संभव नहीं है। उन्होंने कोटा प्रणाली का विरोध करने वालों को 'रजाकार' भी कहा है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

सरकार की कार्रवाई

सरकार ने छात्रों के प्रदर्शन को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। विश्वविद्यालय कैंपसों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंगा पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश पैरामिलिटरी फोर्स को तैनात किया गया है। बुधवार को छात्रों ने मरने वालों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए शवयात्राएं निकाली।

विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई

इसके साथ ही, मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के मुख्यालय पर छापेमारी की गई, जिसमें सात आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस पर चिंता व्यक्त की है और सरकार से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और घायलों को सही उपचार देने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री हसीना के लिए पहली बड़ी चुनौती

प्रधानमंत्री हसीना के लिए पहली बड़ी चुनौती

चौथी बार लगातार सत्ता में आईं प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए यह छात्रों का आंदोलन एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह देखना बाकी है कि सरकार इन प्रदर्शनों को कैसे सँभालती है और छात्रों के विरोध का अंत कैसे होता है।

देश की शिक्षा व्यवस्था पर असर

इस प्रकार के निर्णय का शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है। छात्रों की पढ़ाई बाधित होगी और विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अकादमिक कैलेंडर अव्यवस्थित हो सकता है। इसका दीर्घकालिक प्रभाव छात्रों की शैक्षिक प्रगति पर भी पड़ सकता है।

विश्वविद्यालयों की स्थिति

देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में आज की स्थिति असहज और चिंताजनक है। छात्र अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, वहीं पुलिस और सुरक्षा बल कानून व्यवस्था बनाने में लगे हुए हैं। कैंपस में जो वातावरण है, वह तनावपूर्ण है और किसी भी समय स्थिति बिगड़ सकती है।

भविष्य का रास्ता

आवश्यक है कि सरकार और छात्र प्रतिनिधि बातचीत से समाधान निकालें, ताकि शांति और व्यवस्था बनी रहे। कोटा प्रणाली जैसे विवादास्पद मुद्दों पर सरकार को छात्रों और विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। इसके साथ ही, छात्रों को भी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखने का अवसर देना चाहिए।

निष्कर्ष

बांग्लादेश में छात्रों के प्रदर्शन ने सरकारी नीतियों पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। यह न केवल छात्र समुदाय बल्कि पूरे देश के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर रहा है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि सभी पक्ष संयम और समझदारी का परिचय दें और देश के भविष्य के लिए मिलकर एक समुचित समाधान खोजें।