अजित पवार की स्वीकृति
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने के निर्णय पर गहरा अफसोस जताया है। उन्होंने अपनी राज्यव्यापी 'जन सम्मान यात्रा' के दौरान इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि यह निर्णय एक गलती थी और ऐसा नहीं होना चाहिए था। अजित पवार का मानना है कि राजनीति को घरों में प्रवेश नहीं करना चाहिए और इसने उनके परिवारिक संबंधों को प्रभावित किया है।
सुप्रिया सुले की विजय
सुप्रिया सुले, जो एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बेटी हैं, ने इस चुनाव में बड़ी अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने बारामती सीट से 1.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। अजित पवार के निर्णय के बावजूद, सुप्रिया सुले की इस जीत ने यह साबित कर दिया कि क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और जनाधार कितना मजबूत है।
परिवार में राजनीति का असर
अजित पवार ने कहा कि यह निर्णय ने उनके परिवार में तनाव और मतभेद पैदा किए। उन्होंने यह भी जबरदस्त रूप से कहा कि अब वह इस निर्णय के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए किसी भी आरोप-प्रत्यारोप का जवाब नहीं देंगे और अपने काम में ध्यान केंद्रित करेंगे। वह राज्य में विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर काम करेंगे और राजनीति को परिवारिक मसलों से दूर रखेंगे।
राजनीतिक दलों के बीच मतभेद
एनसीपी के अंदर भी इस निर्णय के परिणामस्वरूप कई अंशदान और मतभेद उभर कर आए। एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने अजित पवार की इस स्वीकृति को पवार परिवार का व्यक्तिगत मामला बताया। इस घटना ने एनसीपी के अंदर पहले से भी चल रहे विभाजन को और गहरा कर दिया है। पिछले साल अजित पवार ने कई विधायकों के साथ एनसीपी को छोड़कर महायुति सरकार में शामिल हो गए थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार के समूह को वास्तविक एनसीपी के रूप में मान्यता दी थी।

आगे की योजना
अजित पवार ने आगे कहा कि वह अपने परिवार के साथ राखी के त्योहार को मनाने की योजना बना रहे हैं। अगर उनकी बहनें उपलब्ध होंगी तो वह इस त्योहार को उनके साथ मनाना चाहेंगे। इसके साथ ही, उनका मुख्य ध्यान अब राज्य के विकास और लोगों के कल्याण पर रहेगा।
समाप्ति में
इस प्रकार, अजित पवार की यह स्वीकृति न केवल उनके व्यक्तिगत परिवारिक संबंधों पर असर डाल रही है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।
aparna apu
अगस्त 14, 2024 AT 20:45अजब ही बात है, कि राजनीति के मैदान में परिवार के रिश्ते तक उलझते दिखते हैं 😊। अजित पवार ने अपना फैसला अपनी पत्नी को चुनाव में उतारने का, यह तो एकदम फिल्मी ड्रामा जैसा लग रहा है। सुनेत्रा पवार को बारामती सीट से हटा कर सुप्रिया सुले के खिलाफ टकराव में डालना, यह एक बहुत बड़ा जोखिम था। इस कदम ने पवार परिवार के अंदर अजीब तरह की खिंचाव पैदा कर दिया, जैसे कि दो सिर वाले साँप ने खुद को मोड़ लिया हो। अब पवार जी ने कहा कि यह एक गलती थी, लेकिन गलती कब तक छुपी रहती है? जनता को भी इस संघर्ष का बोझ उठाना पड़ता है 😔। राजनीति में परिवार को बाहर रखना चाहिए था, पर असल में सब कुछ मिल जाता है। इस गलती से कूदते हुए, वह अब विकास पर ध्यान देना चाहते हैं, पर क्या यह सच में संभव है? उनका “जन सम्मान यात्रा” अब किस दिशा में जाएगा? इस सब के बीच, सुप्रिया सुले की जीत से यह साफ़ हो गया कि जनता का भरोसा किन पर है। अजित पवार ने कहा कि अब वह किसी भी आरोप-प्रत्यारोप का जवाब नहीं देंगे, पर क्या यही उनका असली इरादा है? यह सब देखने वाला है, लेकिन मैं तो कहूँगा कि इस परिवारिक राजनीति की कहानी एक लम्बी और जटिल नयी कड़ी है। आशा है कि आगे चलकर यह सब सच्चाई की ओर बढ़ेगा। 🙏
भविष्य में यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति को नई दिशा देगी या नहीं, यही सवाल है।
arun kumar
अगस्त 14, 2024 AT 21:51पहले तो यह देखना बहुत दिलचस्प था कि अजित पवार ने अपने परिवार को राजनीति से दूर रखना चाहा, पर अब अपने ही रिश्ते को उलझा दिया। यह एक मेसा है, जहाँ व्यक्तिगत भावना और सार्वजनिक जिम्मेदारी टकरा जाती है। हमें इस बात को समझना चाहिए कि लोग अपने भावनाओं में फँस जाते हैं, पर वही कारण असली बदलाव को रोकता है।
Karan Kamal
अगस्त 14, 2024 AT 22:58परिवार के भीतर विरोधाभास को सार्वजनिक मंच पर लाना कभी सही नहीं होता। यह कदम केवल व्यक्तिगत दुविधा को ही नहीं, बल्कि पार्टी के एकता को भी नुकसान पहुंचाता है।
Navina Anand
अगस्त 15, 2024 AT 00:05वाह! राजनीति में भी अब परिवारिक ड्रामा देखने को मिल रहा है। आशा है कि आगे से सब लोग अपने-अपने क्षेत्रों में सकारात्मक काम करेंगे और व्यक्तिगत टकराव नहीं।
Prashant Ghotikar
अगस्त 15, 2024 AT 01:11जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ रहा है, हमें यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में हर व्यक्ति को सम्मान मिलना चाहिए। पवार परिवार के अंदर की समस्याएँ जनता को नहीं दिखनी चाहिए, पर साथ ही सार्वजनिक उत्तरदायित्व भी जरूरी है।
Sameer Srivastava
अगस्त 15, 2024 AT 02:18क्या बकवास है!! ये लोग अपने रिश्ते को राजनीति में ढालते रहे!! क्यूँ ना सीधे-साधे बात करें?!! पावर प्ले बहुत ज़्यादा हो रहा है!!! भाईसाब, इधर-उधर की बातों से कछु नहीं बनता!!!
Mohammed Azharuddin Sayed
अगस्त 15, 2024 AT 03:25यह घटना दिखाती है कि व्यक्तिगत रिश्ते और सार्वजनिक दायित्व कैसे टकरा सकते हैं। क्या इससे भविष्य में परिवारिक सदस्य राजनीति से दूर रहेंगे?
Avadh Kakkad
अगस्त 15, 2024 AT 04:31सपष्ट है कि पवार परिवार में अभी भी गहरी कटुता है, और यह चुनावी निर्णय बस एक सतही समाधान था।
Sameer Kumar
अगस्त 15, 2024 AT 05:38इतिहास में ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहाँ परिवार के भीतर सत्ता संघर्ष ने बड़े स्तर पर बदलाव लाया। इस केस को भी उसी लेंस से देखना चाहिए
naman sharma
अगस्त 15, 2024 AT 06:45यदि हम इस घटनाक्रम को गहराई से देखें, तो यह पावर स्ट्रक्चर में एक गुप्त साज़िश की ओर इशारा कर सकता है। निश्चित रूप से यह एक साधारण चुनावी गलती नहीं, बल्कि एक नियोजित चाल है।
Sweta Agarwal
अगस्त 15, 2024 AT 07:51अरे वाह, परिवारिक गड़बड़ियां तो हर दिन होती रहती हैं, पर राजनीति में जब आएं तो सब को शौक़ीन बना देती हैं।
KRISHNAMURTHY R
अगस्त 15, 2024 AT 08:58पावर डायनामिक्स और कॉम्प्लेक्स सिचुएशन को समझने के लिए थॉटली एनालिसिस जरूरी है। यह केस एग्ज़ाम्पल ऑफ़ एम्प्लॉयी-ओनरी रिलेशनशिप इन पॉलिटिक्स है।
priyanka k
अगस्त 15, 2024 AT 10:05सच में, इतनी बड़ी गलती को स्वीकार करने की हिम्मत तो कमाल है। अब देखेंगे कि यह कब तक चलती है।
sharmila sharmila
अगस्त 15, 2024 AT 11:11क्या वैरा है?? यह सब कैसे हुआ, समझ नहीं आ रहा.. पर हाँ, पावर स्ट्रक्चर में इतना इंट्रिकेशन नहीं होना चाहिए।
Shivansh Chawla
अगस्त 15, 2024 AT 12:18देशभक्त के रूप में देखूँ तो यह राजनीतिक खेल हमारे राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा है। परिवार के भीतर सत्ता संघर्ष को इस स्तर तक ले जाना बर्दाश्त नहीं करना चाहिए।
Akhil Nagath
अगस्त 15, 2024 AT 13:25हर कार्य की नैतिकता का परीक्षण किया जाना चाहिए, विशेषकर जब वह सार्वजनिक हित को प्रभावित करता हो। इस मामले में, पवार जी की आत्मनिरीक्षण सराहनीय है, पर वास्तविक सुधार की आवश्यकता स्पष्ट है।
vipin dhiman
अगस्त 15, 2024 AT 14:31इब्ब सब फेक बात है, असल में बस सत्ता की लडाई है।
vijay jangra
अगस्त 15, 2024 AT 15:38हम सबको मिलकर इस मुद्दे को समझना चाहिए और यह देखना चाहिए कि कैसे हम अपने नेताओं को अधिक जिम्मेदार बना सकते हैं। सकारात्मक संवाद और खुली बातचीत ही समाधान की कुंजी है।🌟
Vidit Gupta
अगस्त 15, 2024 AT 16:45बहुत ही अजीब मामला है।