महाराष्ट्र: अजित पवार ने स्वीकार की पत्नी को सु्प्रिया सुले के खिलाफ चुनाव लड़ाने की गलती
- 14 अग॰ 2024
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अजित पवार की स्वीकृति
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को अपनी चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने के निर्णय पर गहरा अफसोस जताया है। उन्होंने अपनी राज्यव्यापी 'जन सम्मान यात्रा' के दौरान इस बात को स्वीकार करते हुए कहा कि यह निर्णय एक गलती थी और ऐसा नहीं होना चाहिए था। अजित पवार का मानना है कि राजनीति को घरों में प्रवेश नहीं करना चाहिए और इसने उनके परिवारिक संबंधों को प्रभावित किया है।
सुप्रिया सुले की विजय
सुप्रिया सुले, जो एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की बेटी हैं, ने इस चुनाव में बड़ी अंतर से जीत हासिल की थी। उन्होंने बारामती सीट से 1.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से विजय प्राप्त की थी। अजित पवार के निर्णय के बावजूद, सुप्रिया सुले की इस जीत ने यह साबित कर दिया कि क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता और जनाधार कितना मजबूत है।
परिवार में राजनीति का असर
अजित पवार ने कहा कि यह निर्णय ने उनके परिवार में तनाव और मतभेद पैदा किए। उन्होंने यह भी जबरदस्त रूप से कहा कि अब वह इस निर्णय के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए किसी भी आरोप-प्रत्यारोप का जवाब नहीं देंगे और अपने काम में ध्यान केंद्रित करेंगे। वह राज्य में विकास और कल्याणकारी योजनाओं पर काम करेंगे और राजनीति को परिवारिक मसलों से दूर रखेंगे।
राजनीतिक दलों के बीच मतभेद
एनसीपी के अंदर भी इस निर्णय के परिणामस्वरूप कई अंशदान और मतभेद उभर कर आए। एनसीपी नेता प्रफुल पटेल ने अजित पवार की इस स्वीकृति को पवार परिवार का व्यक्तिगत मामला बताया। इस घटना ने एनसीपी के अंदर पहले से भी चल रहे विभाजन को और गहरा कर दिया है। पिछले साल अजित पवार ने कई विधायकों के साथ एनसीपी को छोड़कर महायुति सरकार में शामिल हो गए थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने अजित पवार के समूह को वास्तविक एनसीपी के रूप में मान्यता दी थी।
आगे की योजना
अजित पवार ने आगे कहा कि वह अपने परिवार के साथ राखी के त्योहार को मनाने की योजना बना रहे हैं। अगर उनकी बहनें उपलब्ध होंगी तो वह इस त्योहार को उनके साथ मनाना चाहेंगे। इसके साथ ही, उनका मुख्य ध्यान अब राज्य के विकास और लोगों के कल्याण पर रहेगा।
समाप्ति में
इस प्रकार, अजित पवार की यह स्वीकृति न केवल उनके व्यक्तिगत परिवारिक संबंधों पर असर डाल रही है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।