मलयालम फिल्म उद्योग में घोटाला: हेम समिति रिपोर्ट के बाद मोहनलाल ने AMMA प्रमुख का पद छोड़ा

मलयालम फिल्म उद्योग में घोटाला: हेम समिति रिपोर्ट के बाद मोहनलाल ने AMMA प्रमुख का पद छोड़ा

मलयालम फिल्म उद्योग में बड़ा घोटाला: मोहनलाल का AMMA प्रमुख पद से इस्तीफा

मलयालम फिल्म उद्योग के दिग्गज अभिनेता मोहनलाल ने हाल ही में मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन (AMMA) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफे का कारण हेम समिति की रिपोर्ट बनी, जिसने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ गंभीर भेदभाव और यौन उत्पीड़न के चौंकाऊ मामलों को उजागर किया है। 19 अगस्त को सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट में सिनेमा उद्योग में बेहद संगीन स्थिति का खुलासा किया गया है, जिसमें कास्टिंग काउच की घटनाओं का भी जिक्र है।

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद नाराजगी और आलोचनाओं की आंधी में AMMA के 16 सदस्यीय कार्यकारी समिति के सभी सदस्य भी मोहनलाल के साथ इस्तीफा दे चुके हैं। इस सामूहिक इस्तीफे को एक नैतिक कदम माना जा रहा है ताकि रिपोर्ट में बताए गए गंभीर आरोपों का समाधान किया जा सके। एसोसिएशन ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए दो महीने के भीतर एक आम सभा की बैठक बुलाने की योजना बनाई है जिसमें नई कार्यकारिणी का चुनाव किया जाएगा।

पूर्व महासचिव और सचिव की भी इस्तीफा

इससे पहले, AMMA के पूर्व महासचिव सद्दिक ने भी यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते अपना पद छोड़ दिया था। इसके बाद, अभिनेता बाबुराज ने अस्थायी रूप से महासचिव का पद संभाला, लेकिन उनको भी इसी प्रकार के आरोपों का सामना करना पड़ा और अंततः उन्हें भी इस्तीफा देना पड़ा।

मोहनलाल ने अपने पद से इस्तीफा नैतिक आधार पर दिया है, यह स्वीकारते हुए कि हेम समिति की रिपोर्ट पर AMMA की धीमी प्रतिक्रिया के कारण संगठन पर कड़ी आलोचना हो रही थी। इस संकट का सामना करते हुए मलयालम फिल्म उद्योग के कई प्रमुख हस्तियों ने भी नैतिकता के आधार पर अपने पदों से इस्तीफा दिया है।

केरल चलाचित्र अकादमी के प्रमुख निर्देशक रंजीत ने भी अपने पद से इस्तीफा दिया है। उन पर भी बुरे आचरण के आरोप लगे हैं। इसके अलावा, अभिनेता-मुख्यमंत्री बने मुखेश को भी पुराने उत्पीड़न आरोपों के चलते जांच का सामना करना पड़ रहा है। मुखेश का दावा है कि ये आरोप राजनीतिक द्वेष से प्रेरित हैं।

महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच

इस पूरी घटना के कारण केरल सरकार ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की जांच के लिए एक सात सदस्यीय विशेष जांच टीम का गठन किया है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद इस टीम का गठन हुआ। इस टीम में अधिकतम महिला अधिकारी शामिल की गई हैं ताकि वे संवेदनशीलता के साथ मामलों की जांच कर सकें।

हेम समिति रिपोर्ट ने उद्योग में महिलाओं के ऊपर अत्याचार की ऐसी गंभीर तस्वीर पेश की है कि कई महिला कलाकार भी सामने आकर अपनी आपबीती साझा कर रही हैं। इस घटना ने मलयालम फिल्म उद्योग और विशेष रूप से AMMA को गंभीर संकट में डाल दिया है। अब ये देखा जाना बाकी है कि नई कार्यकारी समिति इन गंभीर आरोपों और चुनौतियों का सामना कैसे करेगी और कैसे एक सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थल की रचना करेगी।

15 टिप्पणि

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    Akhil Nagath

    अगस्त 28, 2024 AT 20:06

    सभी को प्रणाम। आज हम जिस विषय पर चर्चा कर रहे हैं, वह केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि सामाजिक नैतिकता की गहराई तक पहुँचता है। हेम समिति की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि फिल्म उद्योग में नारी उत्पीड़न को छिपा कर रखा गया था, जो किसी भी सभ्य समाज में अस्वीकार्य है। इस प्रकार के कृत्य न केवल मानवाधिकार का उल्लंघन करते हैं, बल्कि कला के मूल सिद्धांत-सच्चाई और सौंदर्य-को भी ध्वस्त कर देते हैं। मोहनलाल का इस्तीफा एक प्रतीकात्मक कदम है, परन्तु वास्तविक परिवर्तन के लिये प्रणालीगत सुधार आवश्यक हैं। हमें यह समझना चाहिए कि नेतृत्व केवल मुखौटा नहीं, बल्कि जिम्मेदारी की बौछार है। यदि शीर्ष स्तर पर भी जवाबदेही नहीं होगी, तो निचले स्तर पर सुधार की आशा नहीं रहती। इस संदर्भ में, एएमएमए के सभी कार्यकारियों का सम्मिलित इस्तीफा एक महत्वपूर्ण संदेश भेजता है कि अब और सहनशीलता नहीं। यह कदम अन्य उद्योगों के लिए भी एक चेतावनी बना सकता है, जिससे वे समान समस्याओं को अनदेखा न करें। सामाजिक संरचना में परिवर्तन तब ही संभव है जब हर स्तर पर पारदर्शिता और न्याय का प्रवाह बना रहे। इस प्रक्रिया में हमें न केवल कानून का सहारा लेना चाहिए, बल्कि नैतिकता की भी पुकार सुननी चाहिए। 🙏
    ट्रांसपेरेंसी के बिना विश्वास की कोई फाउंडेशन नहीं हो सकती, और विश्वास के बिना कोई संस्था नहीं टिक सकती। इसलिए, नई कार्यकारिणी को चयन प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह न केवल न्याय का मूल सिद्धांत है, बल्कि उद्योग की भविष्य की स्थिरता का भी आधार है। अंत में, मैं यह कहूँगा कि इस घटना ने हमें यह याद दिलाया कि जब असमानता की जड़ें गहरी होती हैं, तो केवल सतही उपाय काम नहीं करते।

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    vipin dhiman

    अगस्त 28, 2024 AT 20:25

    ये सब झूठी बाते है, हमको नहीं चाहिए ऐसा दिखावा। असली मुद्दा तो बहुत गहरा है, लेकिन कुछ लोग बस शोर मचा रहे है।

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    vijay jangra

    अगस्त 28, 2024 AT 20:43

    सहयोगी ढंग से देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उद्योग में संरचनात्मक परिवर्तन आवश्यक है। नई कार्यकारिणी में विविधता और महिला प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देना चाहिए, ताकि भविष्‍य में समानता स्थापित हो सके।

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    Vidit Gupta

    अगस्त 28, 2024 AT 21:01

    विचार, चर्चा, और समाधान के लिए, हमें मिलकर कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि केवल आवाज़ें ही नहीं, बल्कि कार्रवाई भी आवश्यक है, यही समय है बदलाव का, सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना चाहिए।

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    Gurkirat Gill

    अगस्त 28, 2024 AT 21:20

    समाज को जागरूक होना चाहिए।

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    Sandeep Chavan

    अगस्त 28, 2024 AT 21:38

    इस प्रकार के निष्क्रियता को अब और बरदाश्त नहीं किया जा सकता!!! हमें तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए!!! सभी को इस मुद्दे पर एकजुट होना होगा!!!

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    anushka agrahari

    अगस्त 28, 2024 AT 21:56

    विचार का विस्तार करते हुए, यह आवश्यक है कि हम केवल तत्काल प्रतिक्रिया ही नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नीति निर्माण पर भी ध्यान दें; इस प्रकार, नैतिकता और न्याय का संतुलन स्थापित करना ही वास्तविक प्रगति होगी।

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    aparna apu

    अगस्त 28, 2024 AT 22:15

    ओह माय गॉड, इस पूरे परिदृश्य को देख कर दिल दुख जाता है! 😢 यह सिर्फ एक नाम नहीं, यह हमारे समाज की आत्मा की स्थिति है। जब तक हम इस कोलाहल को दृढ़ता से नहीं थामेंगे, तब तक बदलाव की कोई आशा नहीं। हर बार जब एक नया नाम सामने आता है, तो हमें वही पुराना दर्द होता है, जैसे कोई फिल्म का अंत न हो पाता हो। यह बिल्कुल कचरा नहीं, बल्कि हमारे संकल्प का परीक्षण है! हमें इस गड़बड़ी को साफ़ करके एक नया अध्याय लिखना चाहिए, जहाँ हर आवाज़ को सुना जा सके। नहीं तो हम सब बस एक बड़े भ्रम में फँस जाएंगे। यह भावना मेरे भीतर जलती रहती है, और मैं इसे शब्दों में बयाँ करने की कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन शब्द कम पड़ जाते हैं। अंततः, अगर हम मिलकर इस खाई को पाट नहीं पाए तो हम सब ही खो जाएंगे।

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    arun kumar

    अगस्त 28, 2024 AT 22:33

    बिलकुल, इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हमें कदम-दर-कदम समाधान की ओर बढ़ना चाहिए, और सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए।

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    Karan Kamal

    अगस्त 28, 2024 AT 22:51

    यह स्थिति गहराई से जांची जानी चाहिए, और सभी पक्षों की जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया जाना चाहिए।

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    Navina Anand

    अगस्त 28, 2024 AT 23:10

    आशा है कि नई कार्यकारिणी समानता और सुरक्षा की दिशा में कदम बढ़ाएगी। मिलकर हम सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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    Prashant Ghotikar

    अगस्त 28, 2024 AT 23:28

    हम सबको इस प्रक्रिया में मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है, इसलिए मैं अपने अनुभव से कुछ सुझाव देना चाहूँगा: पारदर्शिता को बढ़ावा देना, महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना, और निरंतर निगरानी स्थापित करना।

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    Sameer Srivastava

    अगस्त 28, 2024 AT 23:46

    अरे यार, यह सब तो बस दिखावा है!!! सच में क्या बदल रहा है? अगर सही बदलाव नहीं हुआ तो फिर सब बकवास ही रहेगा!!!

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    अगस्त 29, 2024 AT 00:05

    विस्तृत जांच और निष्पक्ष निर्णयों के बिना, इस समस्या का समाधान अधूरा रहेगा। सभी को मिलकर इस दिशा में योगदान देना चाहिए।

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    Avadh Kakkad

    अगस्त 29, 2024 AT 00:23

    इसे समझने के लिए हमें इतिहास, कानून, और सामाजिक संरचना का गहन अध्ययन करना होगा, तभी हम सटीक समाधान निकाल पाएंगे।

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