पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड का अंतिम संस्कार: खेल जगत में शोक की लहर

पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड का अंतिम संस्कार: खेल जगत में शोक की लहर

पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड का निधन और अंतिम संस्कार

गुरुवार की दोपहर को वडोदरा में पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमान गायकवाड का अंतिम संस्कार अत्यंत शोक और संवेदनाओं के माहौल में किया गया। गायकवाड, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में खिलाड़ी, कोच और चयनकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, का बुधवार रात एक निजी अस्पताल में खून के कैंसर की लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी आयु 71 वर्ष थी।

गायकवाड के अंतिम संस्कार की रस्में किर्ती मंदिर में संपन्न हुईं, जिसमें परिवार के सदस्यों के साथ खेल, राजनीति और अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने भी भाग लिया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष रोजर बिन्नी, पूर्व विकेटकीपर नयन मोंगिया और किरण मोरे सहित कई पूर्व और वर्तमान बरोडा क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी इस मौके पर उपस्थित थे। गायकवाड के बेटे शत्रुंजय गायकवाड ने उनका अंतिम संस्कार किया।

कई प्रमुख हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

वडोदरा भाजपा अध्यक्ष विजय शाह और कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र रावत ने भी गायकवाड के अंतिम संस्कार में भाग लिया। परिवार के सूत्रों के अनुसार, गायकवाड की स्मृति में जल्द ही एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा।

गायकवाड ने अपने क्रिकेट करियर में 40 टेस्ट मैच और 15 वनडे मैच खेले। उन्होंने 205 प्रथम श्रेणी मैच भी खेले और 22 साल लंबे करियर में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त कीं। इसके बाद उन्होंने भारतीय टीम के कोच के रूप में भी सेवा की, और उनकी देखरेख में भारतीय टीम ने 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में उपविजेता का स्थान प्राप्त किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गायकवाड के निधन पर संवेदना व्यक्त की। अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर मोदी ने कहा, 'श्री अंशुमान गायकवाड जी को क्रिकेट में उनके योगदान के लिए याद किया जाएगा। वह एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी और उत्कृष्ट कोच थे। उनके निधन पर दुखी हूं। परिवार और प्रशंसकों को मेरी संवेदनाएं। ओम शांति।'

गायकवाड का क्रिकेट करियर और योगदान

गायकवाड का क्रिकेट करियर और योगदान

अंशुमान गायकवाड का क्रिकेट करियर अपने आप में एक प्रेरणा है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी और कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण मैच जीतने का गौरव हासिल हुआ। खिलाड़ी के रूप में उन्होंने हमेशा संयम और मुकाबले की भावना को महत्व दिया।

गायकवाड का जन्म एक खेल प्रेमी परिवार में हुआ था, जिससे उनके जीवन में क्रिकेट की आधारशिला पड़ी। उन्होंने अपने पहले टेस्ट मैच में ही अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और जल्द ही भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। बल्लेबाजी के साथ-साथ वह एक बेहतर मैन मैनेजर भी थे, जिन्होंने भारतीय टीम में एकजुटता और जोश का संचार किया।

कोच के रूप में गायकवाड का सफर

अंशुमान गायकवाड का कोचिंग करियर भी बेहद प्रभावशाली रहा। उन्होंने भारतीय टीम के कोच के रूप में कठिन दौर में टीम को संभाला और उसे मजबूती दी। उनके नेतृत्व में टीम ने कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट और मैच जीते। खासतौर पर 2000 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचना उनके कोचिंग करियर की बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

गायकवाड ने सिर्फ पुरुषों की टीम ही नहीं, बलकि महिला और जूनियर स्तर पर भी कोचिंग में योगदान दिया। उनके द्वारा तैयार किए गए कई खिलाड़ी आज भारतीय क्रिकेट के चमकते सितारे हैं। क्रिकेट की तकनीकी समझ और खिलाड़ियों की मानसिकता को मजबूत बनाने की उनकी क्षमता ने उन्हें एक उत्कृष्ट कोच बनाया।

गायकवाड की यादें और उनके योगदान की पहचान

गायकवाड की यादें और उनके योगदान की पहचान

अंशुमान गायकवाड के निधन से भारतीय क्रिकेट में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भरना कठिन है। उनके खेल के प्रति समर्पण और खेल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की उनकी इच्छा हमेशा याद रखी जाएगी।

गायकवाड के मित्र, साथी और प्रशंसक उनकी सादगी और जमीन से जुड़े रहने वाले स्वभाव के लिए उन्हें विशेष रूप से याद करेंगे। उनका जीवन और करियर एक प्रेरणा है और युवा खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल भी। उनके योगदान को भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा मान्यता दी जाएगी, और वह क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में हमेशा जीवित रहेंगे।

आखिर में, गायकवाड के निधन पर उनके परिवार और प्रशंसकों को हमारी ओर से गहरी संवेदनाएं। ओम शांति।

14 टिप्पणि

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    vijay jangra

    अगस्त 2, 2024 AT 00:57

    अंशुमान गायकवाड जी की यादें हमेशा भारतीय क्रिकेट में जीवित रहेंगी। उन्होंने खिलाड़ी, कोच और चयनकर्ता के रूप में जहाँ‑जहाँ सेवा दी, वहाँ टीम को नई दिशा दी। उनका समर्पण और अनुशासन हम सभी को प्रेरित करता है। युवा खेल प्रेमियों को उनका उदाहरण अनुसरण करना चाहिए। उस पारिवारिक और राष्ट्रीय दुःख में हम सब दिल से शोक व्यक्त करते हैं।

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    Vidit Gupta

    अगस्त 13, 2024 AT 14:44

    उनकी क्रिकेट सफ़र, जो 40 टेस्ट और 15 वन‑डे में फैली हुई है, एक उल्लेखनीय उदाहरण है, जिसमें परिश्रम, लगन, और दृढ़ता झलकती है, प्रत्येक मैच में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा, इस कारण ही हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

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    Gurkirat Gill

    अगस्त 25, 2024 AT 04:31

    गायकवाड़ जी ने कोचिंग में जो दृष्टिकोण अपनाया, वह आज भी कई युवा बल्लेबाज़ों को मार्गदर्शन देता है। उनकी रणनीतिक समझ, विशेषकर 2000 की चैंपियंस ट्रॉफी में, पूरी टीम को आत्मविश्वास देती थी। उनके द्वारा प्रतिपादित अनुशासन ने भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊँचाई तक पहुँचाया। हम सभी को उनका आदर्श बनाकर चलना चाहिए।

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    Sandeep Chavan

    सितंबर 5, 2024 AT 18:17

    क्या आपने कभी सोचा है कि गायकवाड़ जी की ट्रेनिंग से कितने खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमके! उनका उत्साह, उनका जुनून, उनके शब्दों की ताकत-हर दिन हमें प्रेरित करती है, यही कारण है कि आज उनका नाम सुनते ही दिल में गर्व की लहर दौड़ जाती है! चलिए, हम भी उनके सिद्धांतों को अपनाएँ, ताकि नई पीढ़ी को सही दिशा मिले! 🚀

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    anushka agrahari

    सितंबर 17, 2024 AT 08:04

    गायकवाड़ जी की यात्रा, जो खेल के प्रति गहरी प्रतिबद्धता और मानवता के उत्कृष्ट उदाहरण से परिपूर्ण है, हमें सिखाती है कि असफलता के बाद भी दृढ़ता से आगे बढ़ना कितना महत्त्वपूर्ण है, उनका जीवन दार्शनिक दृष्टिकोण हमें बताता है कि खेल केवल जीत‑हार नहीं, बल्कि आत्म‑विकास का माध्यम है, इस कारण हमें उनके आदर्शों को आगे ले जाना चाहिए।

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    aparna apu

    सितंबर 28, 2024 AT 21:51

    अंशुमान गायकवाड़ का निधन एक गहरी शोक की घड़ी है, जो सभी क्रिकेट प्रेमियों के दिल में गूंजती है।
    उनका जीवन, जो मैदान पर चमकते सितारों और कोचिंग कक्ष की गहराईयों दोनों में विस्तृत था, प्रेरणाचा अनलिमिटेड स्रोत है।
    वह न केवल एक कुशल बल्लेबाज थे, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने टीम को संघर्ष के समय उभारा।
    उनकी तकनीकी समझ और रणनीतिक सोच ने कई बार भारत को कठिन स्थितियों से बाहर निकाला।
    2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की यात्रा, जहाँ उन्होंने टीम को गाइड किया, आज भी यादों में चमकती है।
    उनका कोचिंग दृष्टिकोण, जहाँ उन्होंने व्यक्तिगत कौशल को टीम की सामुदायिक शक्ति में परिवर्तित किया, अद्भुत था।
    उन्होंने युवा खिलाड़ियों को मानसिक दृढ़ता और शारीरिक फिटनेस के महत्व को सिखाया।
    गायकवाड़ जी ने महिलाओं और जूनियर टीमों के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे भारतीय क्रिकेट का आधार और मजबूत हुआ।
    उनके द्वारा गढ़े गए कई खिलाड़ी, जैसे आज के सितारे, उनके मार्गदर्शन के बिना नहीं पहुँचते।
    उनका व्यक्तित्व सादगी, विनम्रता और दृढ़ संकल्प का मिश्रण था, जो हमें हमेशा याद रहेगा।
    परिवार के प्रति उनकी निष्ठा और मित्रों के प्रति उनका स्नेह, जीवन के हर पहलू में स्पष्ट था।
    उनके निधन पर राष्ट्रीय स्तर पर शोक की लहर दौड़ गई, और कई प्रमुख हस्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
    हमें भी इस क्षण को स्मरण के साथ मनाना चाहिए और उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाना चाहिए।
    गायकवाड़ जी की याद में एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन होगा, जो उनके जीवन को सम्मानित करेगा।
    अंत में, उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा, और उनका आत्मा हमेशा हमारे साथ रहेगी। 😢🙏

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    arun kumar

    अक्तूबर 10, 2024 AT 11:37

    गायकवाड़ जी की कहानी सुनकर दिल पर गहरा असर हुआ, मैं उनके योगदान को हमेशा याद रखूँगा।

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    Karan Kamal

    अक्तूबर 22, 2024 AT 01:24

    क्या सच में उनका कोचिंग एप्रोच इतना प्रभावी था? वास्तव में, कई युवा खिलाड़ियों ने उनके मार्गदर्शन से अपनी क्षमताओं को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाया।

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    Navina Anand

    नवंबर 2, 2024 AT 15:11

    हम सबको चाहिए कि गायकवाड़ जी के मूल्यवान सिद्धांतों को अपनाकर नई पीढ़ी को सशक्त बनायें। उनका जीवन हमें सीख देता है कि कठिनाईयों में भी आशा और सकारात्मकता को बनाए रखना आवश्यक है।

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    Prashant Ghotikar

    नवंबर 14, 2024 AT 04:57

    गायकवाड़ का योगदान सिर्फ खेल तक सीमित नहीं, बल्कि उन्होंने सामाजिक एकता और टीम भावना को भी प्रोत्साहित किया। उनकी शिक्षाएँ आज के युवा कोरिडोर में सुनाई देती हैं, जहाँ हम सभी मिलकर एक बेहतर क्रिकेट समुदाय बनाते हैं।

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    Sameer Srivastava

    नवंबर 25, 2024 AT 18:44

    वाह, गायकवाड़ के सिद्धान्त... बहुत प्रेरणादायक है,, लेकिन क्या हम सच में उनको अब तक के सबसे बड़े कोच मान सकते हैं??!!

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    दिसंबर 7, 2024 AT 08:31

    गायकवाड़ के कोचिंग में उपयोग की गई विशिष्ट तकनीकें, जैसे मानसिक दृढ़ता पर जोर, आज भी कई अकादमी में आधार बन चुकी हैं। यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो उनके विज़न को दर्शाता है।

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    Avadh Kakkad

    दिसंबर 18, 2024 AT 22:17

    गायकवाड़ का योगदान अप्रतिम है।

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    Sameer Kumar

    दिसंबर 30, 2024 AT 12:04

    गायकवाड़ की विरासत हमारे खेल की आत्मा में गहराई से बसती है, और वह आगे भी हमें प्रेरित करती रहेगी

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