शाहिद कपूर की फिल्म 'देवा' की बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत: पहले दिन की कमाई निराशाजनक

शाहिद कपूर की फिल्म 'देवा' की बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत: पहले दिन की कमाई निराशाजनक

फिल्म 'देवा' की बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत

शाहिद कपूर की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'देवा', जिसमें अभिनेता ने एक अपरंपरागत और उत्साही पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया है, ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी शुरुआत के पहले दिन ही निराशा हाथ ली। रोशन एंड्रयूज द्वारा निर्देशित इस एक्शन थ्रिलर को दर्शकों से उम्मीद के मुताबिक प्रतिसाद नहीं मिला, क्योंकि शुरुआती दिन की कुल कमाई मात्र ₹3.22 करोड़ तक सीमित रही, जो कि उनकी पिछली फिल्मों की तुलना में काफी कम है।

बुकिंग के लिहाज से भी फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। आंकड़ों के अनुसार, देश भर में केवल लाख भर टिकट ही रिलीज के पहले दिन बुक हो सके। यह ब्रांडेड फिल्म के लिए एक चिंताजनक संकेत था, खासकर जब उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान था कि 'देवा' ₹5-7 करोड़ की नेट कमाई कर सकती है। परंतु, वास्तविकता में ऐसा नहीं हो पाया और फिल्म के पहले दिन का नतीजा उम्मीदों से कम ही रहा।

फिल्म की कहानी ने नहीं की दर्शकों को प्रभावित

फिल्म की कहानी और उसकी प्रस्तुति 'देवा' की सफलता के रास्ते में बड़ी बाधा बनी। यह कहानी दर्शकों के लिए पहले से ही जानी-पहचानी लगी, जिसमें न विश्वसनीयता की कमी थी और न ही कल्पनाशीलता की झलक मिली। दर्शकों की प्रतिक्रिया को देखकर लगता है कि फिल्म निर्माता उस पुराने ढर्रे से बाहर निकलने की आवश्यकता को नजरअंदाज कर गए, जो कि आधुनिक दर्शकों की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं था।

इसके अलावा, फिल्म की स्क्रिप्टिंग में कुछ नएपन की कमी भी महसूस की गई। दर्शकों को ऐसे रोमांचक पल नहीं मिले, जो वे कुछ नया और अनूठा देखने की उम्मीद में कर रहे थे। बल्कि, कहानी में क्लाइमैक्स तक आते-आते दर्शकों का धैर्य जवाब देने लगता है और वे समझ जाते हैं कि आगे क्या होना है।

शाहिद कपूर की भूमिका और प्रदर्शन

जहां तक शाहिद कपूर की बात है, उन्होंने फिल्म के प्रमोशन में अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी थी, बावजूद इसके फिल्म दर्शकों के दिलों में जगह नहीं बना सकी। शाहिद ने इस फिल्म में एक रौबदार पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई है, जो न्याय की राह पर अपने तरीके से चलता है। लेकिन कहानी की संवादवाही और घटनाक्रम की प्रतीक्षा का अभाव उनकी काबिलियत को सामने लाने में बाधक बना।

यह साफ़ है कि दर्शकों ने शाहिद को उनके चरम प्रदर्शन के लिए पहचान बनाते हुए देखा है, जैसे कि 'कबीर सिंह', जिसने जबरदस्त सफलता हासिल की थी। इसके साथ ही शाहिद की सुपरहिट फिल्मों के प्रशंसकों के लिए उनकी एक साधारण कहानी व प्रदर्शन को स्वीकारना थोड़ा मुश्किल साबित हुआ।

अन्य कलाकारों का योगदान

फिल्म में पुजा हेगड़े और पवेल गुलाटी भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं, लेकिन उनकी अदाकारी और उनका किरदार भी फिल्म की कमजोरी का हिस्सा साबित हुई। पुजा हेगड़े का किरदार फिल्म में अपेक्षाकृत दबा सा दिखा और उसमें उत्साह की कमी रही। जबकि पवेल गुलाटी के प्रयासों में ईमानदारी दिखती है लेकिन उन्हें भी फिल्म की स्क्रिप्ट ने अधिक मौका नहीं दिया।

फिल्म के मध्यम तरीके से प्रयास करना और उसके प्रचार में जोर का न लग जाना भी दर्शकों के बीच उसकी अदम्य रुचि का कारण हो सकता है जिसका प्रभाव इसके कमजोर बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर पड़ा।

भविष्य की राह और संभावनाएं

भविष्य की राह और संभावनाएं

फिल्म के निर्माता और कलाकार इस असफल शुरुआत के बाद अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना चाह रहे हैं। ऐसा लगता है कि आगे आने वाले सप्ताहांत में फिल्म से कोई बड़ी छलांग की उम्मीद नहीं की जा सकती, लेकिन अगर कोई सकारात्मक वर्ड ऑफ माउथ या प्रतिक्रिया मिलती है तो इसके परिणाम पर कुछ सुधार आ सकता है।

आखिरकार, यह तथ्य स्पष्ट है कि लोगों की रुचियों में तेजी से हो रही बदलवा और नई विषय-वस्तुओं की मांग को देखते हुए फिल्म निर्माताओं को अपनी विचारधारा में परिवर्तन और नवीन प्रयास करना आवश्यक होता है। इस स्थिति ने बॉलीवुड सहित अन्य सिनेमा उद्योगों के सामने एक गंभीर संदेश प्रस्तुत किया है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

8 टिप्पणि

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    Prashant Ghotikar

    फ़रवरी 1, 2025 AT 08:07

    बॉक्स ऑफिस के आंकड़े अक्सर फिल्म की असली शक्ति को दर्शाते हैं।
    ‘देवा’ का पहला दिन सिर्फ ₹3.22 करोड़ की कमाई ने कई निवेशकों को चौंका दिया।
    तुलना करें तो शाहिद कपूर की पहले की हिट्स ने इसी समय में दोगुनी कमाई कर ली थी।
    यह अंतर दर्शकों की अपेक्षाओं और फिल्म की सामग्री के बीच की दूरी को उजागर करता है।
    आजकल दर्शक सिर्फ स्टार पावर से नहीं, बल्कि कहानी की नवीनता से भी जुड़ते हैं।
    ‘देवा’ का कथानक पुराने टेम्पलेट को दोहराता लगता है, जिससे उत्साह घट जाता है।
    स्क्रीन पर पुलिस अधिकारी की भूमिकाएं कई बार क्लिशे बन चुकी हैं, और यह फिल्म उनसे अलग नहीं दिखी।
    साथ ही, फिल्म की प्रमोशन रणनीति में भी कुछ कमी लगी, खासकर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर सहभागिता।
    सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग बनाम फ़िज़िकल डिस्ट्रीब्यूशन का संतुलन बिगड़ गया।
    इस कारण संभावित दर्शकों तक फिल्म की जानकारी पहुँचाने में बाधा आई।
    बुकिंग संख्या भी कम रहने का मतलब है कि शहरों में प्रदर्शन स्क्रीन की संख्या सीमित रही।
    से इससे मॉल सिनेमा में शो का टाइमिंग भी घटा, जिससे कुल कलेक्शन प्रभावित हुआ।
    अगर फिल्म ने शुरुआती हफ़्ते में सकारात्मक वर्ड‑ऑफ़‑माउथ बनाया होता, तो शायद परिदृश्य अलग रहता।
    उद्योग विशेषज्ञों को अब इस डेटा से सीख लेनी चाहिए कि कंटेंट की गुणवत्ता को प्राथमिकता दे।
    अंत में, ‘देवा’ को इस धीमी शुरुआत से उबरने के लिए अतिरिक्त स्क्रीन और प्री‑मिडिया इवेंट्स की जरूरत रहेगी।

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    Sameer Srivastava

    फ़रवरी 1, 2025 AT 13:07

    यार ये क्या बकवास है!!! फिल्म में एक्शन देख कर तो लोग झूम भी नहीं पाए।
    ट्रेलर में तो वॉवल के झंडे फहरर रहे थे पर असली स्क्रीन पर दिमाग घुमा दिया।
    शाहिद की एक्टिंग तो बँड-बज़ नहीं रही, पक्का लगा कि वो भी इस प्रोजेक्ट में फँस गया।
    प्रॉमोज़ बहुत धूम धड़ाका कर दिया, पर रिजल्ट? बिलकुल निंदा!
    मेरे हिसाब से तो इसको पूरा रिफंड देना चाहिये, क्यूंकि पैसा बर्बाद ही हुआ!

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    फ़रवरी 1, 2025 AT 18:07

    ‘देवा’ की बॉक्स ऑफिस पर धीमी शुरुआत को देखते हुए उद्योग में कई पहलुओं को समझा जा सकता है।
    प्रथम दिन में केवल लाखों टिकट बुकिंग हुई, जो दर्शकों की प्रारंभिक रुचि को दिखाती है।
    कहानी का बुनाव पारम्परिक दिखता है, जिससे युवा वर्ग के साथ तालमेल बनाना मुश्किल हो रहा है।
    साथ ही, मार्केटिंग में डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म का प्रभाव कम उपयोग किया गया, जो संभावित दर्शकों तक पहुँचने में बाधा बनता है।
    यदि फिल्म को आगे के हफ्तों में सकारात्मक समीक्षाएँ मिलें, तो यह अतिरिक्त कलेक्शन जुटा सकती है।
    लेकिन वर्तमान में सिनेमा हॉल की घटती औसत भराई इसे जोखिमपूर्ण बनाती है।
    इस प्रकार, निर्माता को अब रणनीति पुनःविचार करनी होगी, शायद अतिरिक्त स्क्रीन और टार्गेटेड विज्ञापन के साथ।

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    Avadh Kakkad

    फ़रवरी 1, 2025 AT 23:07

    इतिहास से पता चलता है कि बड़े स्टार वाले प्रोजेक्ट भी कहानी कमजोर होने पर असफल हो जाते हैं।
    1990 के दशक में कई एक्शन फिल्में समान समस्याएँ झेल चुकी हैं।
    प्रतिस्पर्धी रिलीज़ शेड्यूल ने भी ‘देवा’ को नुकसान पहुँचाया है।
    फिर भी, बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ शुरुआती दिन का आंकड़ा नहीं, बल्कि द्वितीयक मार्केटिंग की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
    यदि फिल्म को टीवी और OTT प्लेटफ़ॉर्म पर सही समय पर लाया जाए, तो अंतिम राजस्व में सुधार संभव हो सकता है।
    इस तरह के मामलों में अक्सर फिल्म की लाइसेंसिंग और राइट्स मैनेजमेंट में सुधार की आवश्यकता होती है।

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    Sameer Kumar

    फ़रवरी 2, 2025 AT 03:17

    सही कहा आपने कि कहानी ही अंत में सब कुछ तय करती है
    फिर भी दर्शक कभी‑कभी भावनात्मक रंग में जुड़ते हैं
    इस जटिलता को समझना ही सिनेमा की असली कला है
    आशा है निर्माता इस सीख को अगले प्रोजेक्ट में अपनाएँगे

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    naman sharma

    फ़रवरी 2, 2025 AT 08:50

    यह स्पष्ट है कि वर्तमान बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट्स केवल सतही आँकड़े नहीं हैं।
    गुप्त रूप से बड़े वितरण गृहों द्वारा जारी की गई फिल्में अक्सर चयनात्मक रूप से प्रचारित की जाती हैं।
    ‘देवा’ की धीमी शुरुआत को इस संदर्भ में देखे बिना, पूर्ण विश्लेषण अधूरा रहेगा।
    सुझाव है कि उद्योग के भीतर गुप्त समझौते इस फिल्म के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहे हों।
    अतः, भविष्य में अधिक पारदर्शी वित्तीय और वितरण डेटा की आवश्यकता होगी।

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    Sweta Agarwal

    फ़रवरी 2, 2025 AT 12:10

    वाह, इतनी जबरदस्त प्रमोशन के बाद भी बॉक्स ऑफिस पर धूम नहीं मची, हैरान कर दिया!

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    KRISHNAMURTHY R

    फ़रवरी 2, 2025 AT 16:20

    फ़िल्म ‘देवा’ का ओपनिंग वीकेंड KPI को देखते हुए, आपने देख लिया कि CPM और ROI दोनों ही डिप्रेशन्ड हैं। 😅
    कंटेंट फ़ॉर्मेट में आजकल CG‑एस्पेक्ट रेश्यो और नरेटिव डाइमेंशन को बैलेंस करना ज़रूरी है।
    इस प्रोजेक्ट में स्ट्रक्चरल सीनरिज़ को रिडिज़ाइन नहीं किया गया, जिससे एंगेजमेंट ड्रॉप हुआ।
    मार्केटिंग फ़नल में टॉप‑ऑफ़‑फनल टचपॉइंट्स को ठीक से ऑप्टिमाइज़ नहीं किया गया।
    अगर प्री‑रिलीज़ एन्हांसमेंट लेयर को इंटीग्रेट किया जाता तो शायद सस्पेन्स मीट्रिक सुधरता।
    कुल मिलाकर, अगले कॅम्पेन में एगाइल फ़्रेमवर्क अपनाकर डेटा‑ड्रिवन इटरेटिव इम्प्रूवमेंट ज़रूरी है। 😎

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