दिग्गज मलयालम अभिनेत्री कवीयूर पोन्नम्मा का निधन
मलयालम सिनेमा की मशहूर और आदरणीय अभिनेत्री कवीयूर पोन्नम्मा ने शुक्रवार की शाम को कोच्चि के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 79 वर्ष की थीं। पिछले कुछ समय से वे स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं और उनकी स्थिति पिछले कुछ हफ्तों में और बिगड़ गई थी। उनकी मृत्यु ने मलयालम फिल्म उद्योग को शोक में डाल दिया है।
एक अद्वितीय करियर
कवीयूर पोन्नम्मा का करियर लगभग छह दशकों तक फैला रहा, जिसके दौरान उन्होंने 700 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। उनका फिल्मी सफर 1950 के दशक के अंत में मलयालम थिएटर से शुरू हुआ। कुछ ही समय में वे सिल्वर स्क्रीन की प्रमुख अभिनेत्री बन गईं, खासकर माताओं और दादियों की भूमिकाओं में। उन्होंने मलयालम सिनेमा के दिग्गज कलाकारों जैसे सथ्यन, प्रेम नजीर, ममूटी, मोहनलाल और सुरेश गोपी के साथ काम किया।
कवीयूर पोन्नम्मा की सबसे उल्लेखनीय बात उनकी मोहनलाल के साथ जोड़ी थी। 'थेंमाविन कंपाथु' और 'कीरीडम' जैसी फिल्मों में उनके साथ उनका सहयोग देखने लायक था। एक साथ उन्होंने लगभग 50 फिल्मों में काम किया। उनकी ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया और वे मलयालम सिनेमा के प्रतिष्ठित जोड़ी के तौर पर जाने जाते थे।
स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद अभिनय का जुनून
हालांकि कवीयूर पोन्नम्मा पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, लेकिन उनका अभिनय का जुनून कभी कम नहीं हुआ। 2022 में उन्होंने अपनी आखिरी फिल्म में काम किया और उसके बाद वे लाइमलाइट से दूर हो गईं। उन्होंने अपने निजी जीवन में भी उतार-चढ़ाव देखे। 2011 में उनके पति की मृत्यु के बाद, वे अपने बाकी जीवन को सादगी से जीने की कोशिश करती रहीं।
फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर
कवीयूर पोन्नम्मा की मृत्यु की खबर ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ दी है। अनेक सह-कलाकारों और प्रशंसकों ने सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों पर अपनी शोक संवेदनाएँ व्यक्त की हैं। वे एक अद्वितीय अभिनेत्री थीं, जिन्होंने अपनी प्रतिभा और समर्पण से अनगिनत दिलों को छुआ।
वे अपने अभिनय के साथ-साथ अपने सामंजस्यपूर्ण स्वभाव के लिए भी जानी जाती थीं। उनके साथ काम करने वाले लोग बताते हैं कि वे सेट पर हमेशा खुशमिजाज और प्रोत्साहित करने वाली रहती थीं। यह बात उनके सह-कलाकारों और निर्देशकों ने भी कई बार कही है कि कवीयूर पोन्नम्मा ना सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेत्री थीं, बल्कि एक बेहतर इंसान भी थीं।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
कवीयूर पोन्नम्मा अपनी बेटी के साथ करीबी संबंध रखती थीं, जो अब अमेरिका में रह रही हैं। अपने पति के निधन के बाद, उन्होंने एकांत में अपने जीवन का अधिकांश समय बिताया। उन्होंने फिल्मी दुनिया में अपनी छाप छोड़ते हुए एक बेहद सादगी भरी और संतोषजनक जिंदगी जी।
उनकी मृत्यु ने यह भी साबित कर दिया कि सिनेमा की दुनिया में उनका योगदान कितना महत्वपूर्ण था। उनके चले जाने से मलयालम सिनेमा ने एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनके प्रशंसक और सह-कलाकार उनके द्वारा निभाई गई भावुक और निर्भीक भूमिकाओं को हमेशा याद करेंगे।
कवीयूर पोन्नम्मा का योगदान अनमोल है और वे हमेशा अपने प्रशंसकों के दिलों में जिंदा रहेंगी। वे जो विरासत छोड़ कर गयी हैं, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणादायक रहेगी।
Vidit Gupta
सितंबर 21, 2024 AT 05:10कवीयूर पोन्नम्मा जी की यादें हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी, उनके अभिनय में जो मिठास और गहराई थी, वह अविस्मरणीय है, फिल्म जगत ने उनकी सेवा में बहुत कुछ सीखा है, उनका योगदान हमेशा सराहनीय रहेगा।
KRISHNAMURTHY R
सितंबर 21, 2024 AT 06:40वास्तव में, कवीयूर पोन्नम्मा जैसी क्लासिक सिनेमा टेक्टॉनिक्स का हिस्सा रहना एक सम्मान था 🙂। उनके द्वारा निभाए गए दादी‑माँ के किरदारों ने कई पीढ़ियों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया।
priyanka k
सितंबर 21, 2024 AT 08:03ऐसे "दुर्लभ" कलाकारों के बारे में बहुत अधिक प्रशंसा‑जन्य लेख लिखना आज के मीडिया‑इकोसिस्टम में सामान्य हो गया है, परन्तु वास्तविक योगदान को मापना कठिन बना देता है।
sharmila sharmila
सितंबर 21, 2024 AT 09:26बहुत ध्यन रहे कि एवल के फेमस एक्टिंग करैक्टर को हम सब ने कभियों नहीं भूला। उनका हर रोल दिल को छु जाता है।
Shivansh Chawla
सितंबर 21, 2024 AT 10:50देश की सिनेमाई धरोहर को बचाने वाले ऐसे कलाकारों के सम्मान में हम जो बातें करते हैं, उनमें अक्सर राजनीतिक एजेन्डा छिपा रहता है। कवीयूर पोन्नम्मा की स्मृति को सही मायने में सम्मानित करना चाहिए, न कि भाषा‑स्लोगन‑बजाये।
Akhil Nagath
सितंबर 21, 2024 AT 12:13समय के साथ विचारधारा का परिप्रेक्ष्य बदलता है; फिर भी, कवीयूर पोन्नम्मा जैसी कलाकारों की शाश्वत नैतिकता को मतभेद नहीं किया जा सकता। उनका जीवन, उनका काम, और उनका मानवीय दृष्टिकोण सही मायने में एक दार्शनिक उपाख्यान प्रस्तुत करता है। 😊
Gurkirat Gill
सितंबर 21, 2024 AT 13:36यदि आप मलयालम सिनेमा में कदम रखने की सोच रहे हैं तो पोन्नम्मा जी की फिल्मोग्राफी एक अनिवार्य अध्ययन सामग्री है। उनकी अदाकारी तकनीक, भावनात्मक अभिव्यक्ति, और सेट पर सहयोगी स्वभाव पर बहुत कुछ सीख सकते हैं।
Sandeep Chavan
सितंबर 21, 2024 AT 15:00बिल्कुल! ऐसे आइकॉन को याद करना सिर्फ स्मृति‑सत्र नहीं, बल्कि प्रेरणा‑सत्र भी है!!! उनका जुनून, उनके प्रतिबद्धता, और उनका उत्साह हमें आगे बढ़ने की ताकत देता है!!!
anushka agrahari
सितंबर 21, 2024 AT 16:23कवीयूर पोन्नम्मा जी की स्मृति में यह लेख लिखते हुए मैं गहरा सम्मान महसूस करता हूँ। उनका कार्यक्षेत्र छह दशकों से अधिक समय तक विस्तृत रहा, और वह भी 700 से अधिक फिल्मों में। उन्होंने माताओं और दादियों के किरदारों को अपनी विशिष्ट शैली से सम्मलित किया। प्रत्येक भूमिका में वह भावनात्मक गहराई ले आती थीं, जिससे दर्शकों के दिल में एक स्थायी छाप बनती। उनके अभिनय में बारीकी और सटीकता का अद्भुत संतुलन था। मोहनलाल के साथ उनका जोड़, विशेषकर ‘थेंमाविन कंपाथु’ तथा ‘कीरीडम’ जैसी कृतियों में, सिनेमाई इतिहास की सबसे उल्लेखनीय जोडीयों में गिना जाता है। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया, जो उनके बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है। उनके जीवन की कथा तनाव और कठिनाइयों से भरपूर थी, फिर भी उन्होंने कभी अपना जुनून नहीं खोया। स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, 2022 तक उनका कार्य सक्रिय रहा और उनका समर्पण प्रशंसकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। उनके निजी जीवन में भी उन्होंने सादगी और सहनशक्ति का प्रतिबिंब दिखाया, जो हर मानव में होना चाहिए। अनुक्रमण में उनकी बेटी को अमेरिका में देखते हुए, यह स्पष्ट है कि उनकी परवरिश ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई। अंत में, यह कहना उचित होगा कि कवीयूर पोन्नम्मा जी ने मलयालम सिनेमा को एक अनमोल विरासत दी है, जिसे भविष्य की पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।
Prashant Ghotikar
सितंबर 21, 2024 AT 17:46आपकी विस्तृत विश्लेषण ने हमें पोन्नम्मा जी के योगदान की गहराई समझने में मदद की। उनके कार्य की सराहना करने के लिए हम सभी को मिलकर एक सकारात्मक माहौल बनाना चाहिए।
Sameer Srivastava
सितंबर 21, 2024 AT 19:10इन्हें याद कर, मेरी तो उदासी का सागर बहेगा!! पोन्नम्मा की मौज‑मस्ती, उनकी हर फिल्म में दिखी! अब तो बस उनके सीन‑स्निपेट्स के बिना ज़िन्दगी अधूरी लगती है!!!
Mohammed Azharuddin Sayed
सितंबर 21, 2024 AT 20:33कवीयूर पोन्नम्मा की यादें हमेशा दिल में रहेंगी।