पहलगाम में बैंसारन घाटी: कश्मीरी वादियों में खून-खराबा
कश्मीर के अनजाने कोने बैंसारन घाटी, जहां वादी की ठंडी हवा के बीच जिंदगी खुलकर मुस्कुराती थी, अचानक 22 अप्रैल 2025 को चीखों और गोलियों की गूंज से हिल गई। पहलगाम में इस बार आतंकी वारदात ने न सिर्फ स्थानीय लोगों बल्कि देश-दुनिया के लोगों का चैन छीन लिया।
घटना शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। बैंसारन घाटी की खूबसूरती निहार रहे पर्यटकों के बीच स्थानीय पुलिस की वर्दी में कुछ लोग पहुंचे। शुरुआत में किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन जल्द ही उन्होंने बंदूकें तान लीं। उनके तेवर और मंशा देखकर घाटी की फिजा सन्न रह गई। वहां मौजूद पर्यटकों से उन लोगों ने इस्लामी आयतें पढ़ने को कहा। जो न पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई।
पुणे महाराष्ट्र से आए संतोष जगदाले की बेटी असावरी का दर्द बयान करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। उसने अपने पिता और चाचा को अपनी आंखों के सामने ढेर होते देखा। हर कोई स्तब्ध रह गया कि घाटी, जो मोक्ष और सुकून के लिए थी, अब बेगुनाह लोगों का कब्रगाह बन गई।
हमले में एक नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और दो विदेशी नागरिक भी मारे गए। घायलों में एक दर्जन से ज्यादा लोग शामिल हैं—इनमें बच्चे और महिलाएं भी। सुरक्षाबलों को मौके पर पहुंचने में करीब 20 मिनट लगे, लेकिन तब तक आतंकियों ने अपना खूनी खेल खत्म कर दिया था। कई लोगों ने जान की भीख मांगी, लेकिन हमलावरों ने किसी की नहीं सुनी।
हमलावर कौन थे, और देश में कैसा माहौल?
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हमलावर तथाकथित TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) नाम के आतंकी संगठन से जुड़े थे, जो कुख्यात लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया चेहरा है। आतंकियों ने मौके से फरार होने से पहले पूरे इलाके में दहशत फैला दी। पुलिस ने उनकी पहचान की कोशिश में आसपास के गांव-कस्बों की घेराबंदी कर दी है, जबकि आतंकियों की स्केच जारी किए जा चुके हैं। अभी तक सभी घायल पर्यटकों के नाम सार्वजनिक नहीं हो पाए हैं।
मोदी सरकार ने तत्काल व्यापक कार्रवाई की तैयारी शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात में ही कैबिनेट की बैठक की, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ अगली रणनीति पर विचार-विमर्श किया। खबर मिलते ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई बड़े नेता भारत के साथ खड़े नजर आए। हर तरफ इस क्रूरता की कड़ी निंदा हुई।
घाटी में इस घटना के विरोध में स्थानीय कश्मीरी भी सड़कों पर आ गए। अनंतनाग, श्रीनगर और पहलगाम समेत तमाम जगहों पर आम लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर मारे गए लोगों को याद किया। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी था कि फूलों की घाटी को नफरत और आतंक ने लहूलुहान क्यों कर डाला। कई लोगों ने अपनी तरह से अधिकारियों को बताया कि दिलों में डर बैठ गया है, लेकिन इंसानियत की आवाजें भी सड़क पर नजर आईं।
अब जांच एजेंसियों की नींद उड़ी है। स्थानीय पुलिस, सेना और केंद्रीय एजेंसियां मिलकर हत्यारों को पकड़ने में जुटी हैं। लोगों को उम्मीद है कि जल्द उन चेहरों को पकड़कर सजा दिलवाई जाएगी, जिन्होंने घाटी की शांति छीन ली। जब तक ऐसा नहीं होता, बैंसारन घाटी की हवाओं में मातम का असर बाकी रहेगा।
Sameer Kumar
अप्रैल 23, 2025 AT 19:35ऐसे हमले दिल को तोड़ देते हैं।
naman sharma
अप्रैल 30, 2025 AT 03:15पहले तो मैं कहूँगा कि इस तरह की हिंसा का कोई जायजा नहीं है
लोग जो शांति के लिए आते हैं, उन्हें एँव़ से गोली मारना मानवता के विरुद्ध है
हमें सरकार से तुरंत कड़ाई से कदम उठाने की उम्मीद है
Sweta Agarwal
मई 6, 2025 AT 10:55वाकई, जब आतंकियों ने खुद को इस तरह से पेश किया तो लगता है जैसे कोई फिल्म की शूटिंग चल रही हो
लेकिन असली जिंदगी में यह मज़ाक नहीं है
priyanka k
मई 12, 2025 AT 18:35आपकी टिप्पणी के प्रिय बिंदु को मैं मानता हूँ; वास्तव में, इस प्रकार के कार्यों को सराहना के योग्य कहा नहीं जा सकता 🙂
sharmila sharmila
मई 19, 2025 AT 02:15मै बिलकुल सरहाने नहीं देख पा रही हुं कि एसे बुरे काम हमे देखना पडे़गा
लोग शान्ती चाहते है पर एसे लोग तो हमेशा ही घबरा जाते है
Shivansh Chawla
मई 25, 2025 AT 09:55देशभक्त के रूप में मैं कहना चाहूँगा कि ऐसी घटनाएँ हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती हैं; हमें कड़ी तलवार चलानी पड़ेगी, आतंकवादियों को मिटा देना चाहिए
Akhil Nagath
मई 31, 2025 AT 17:35विचार विमर्श के दायरे में यह स्पष्ट है कि मानवीय मूल्यों का उल्लंघन कोई भी दार्शनिक सिद्धांत नहीं अस्वीकार सकता; इस अतिचारी कृत्य ने हमारी नैतिक सीमाओं को चुनौती दी है।
vipin dhiman
जून 7, 2025 AT 01:15ये डिमन्टली लोग कभि नही समझेंगे की हमार देस में ऐसे कदम को बर्दाश्त नहीं किया जाईगा
vijay jangra
जून 13, 2025 AT 08:55ऐसे घटनाओं में सबसे पहले आवश्यक है तत्काल मेडिकल मदद और फिर सटीक जांच, ताकि जिम्मेदारों को जल्दी पकड़ा जा सके। साथ ही, पर्यटन स्थलों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कैमरों और ड्रोनों की तैनाती मददगार होगी।
Navina Anand
जून 19, 2025 AT 16:35आशा है कि इस दुःख के बाद भी लोग फिर से बैंसारन घाटी की सुंदरता का अनुभव करेंगे, अभिभावक और युवा सभी मिलकर सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।
Prashant Ghotikar
जून 26, 2025 AT 00:15बिलकुल, इस तरह की दुखद घटना के बाद हमें सामूहिक रूप से समर्थन दिखाना चाहिए, चाहे वह दान हो या जागरूकता अभियान।
Sameer Srivastava
जुलाई 2, 2025 AT 07:55यह इतना भयानक था कि मेरे अंदर एक अजीब सी ठंडक फैल गई।
जब मैं समाचार देख रहा था तो अचानक मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई।
बैंसारन घाटी की हरियाली और शांति को इतना आसानी से नष्ट कर दिया गया।
उन लोगों की क्रूरता को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
मैं सोचता हूं कि इस तरह के हमले का कारण क्या हो सकता है?
क्या यह केवल आतंकवादियों का दुरुपयोग है या कोई गहरा षड्यंत्र चल रहा है?
सरकार को तुरंत एक पारदर्शी जांच आयोग बनाना चाहिए।
जनता को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए और अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठानी चाहिए।
इससे पहले कि और बिचारे बलिदान हों, हमें कड़ाई से कदम उठाने की जरूरत है।
सुरक्षा ने अब तक केवल शब्दों तक सीमित रहती है, लेकिन अब व्यावहारिक उपायों की जरूरत है।
स्थानीय लोगों को भी प्रशिक्षित करना चाहिए ताकि वे ऐसी स्थितियों में मदद कर सकें।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मुद्दे को उठाया जाना चाहिए, क्योंकि यह केवल भारत की नहीं, बल्कि मानवता की पीड़ा है।
मेरे विचार में, प्रत्येक नागरिक को इस प्रकार के आतंक के विरुद्ध एकजुट होना चाहिए।
साथ ही, हमें दुष्ट विचारधाराओं के बारे में शिक्षा देकर उनका प्रसार रोकना चाहिए।
अंत में, मैं सभी पीड़ितों के परिवारों को दिल से सहानुभूति व्यक्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि न्याय शीघ्रता से मिल जाएगा।
Mohammed Azharuddin Sayed
जुलाई 8, 2025 AT 15:35आपका विश्लेषण गहरी सोच दर्शाता है, धन्यवाद।
Avadh Kakkad
जुलाई 14, 2025 AT 23:15असल में, ऐसी घटनाओं की जड़ में अक्सर स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही और फौज के कुशलता की कमी रहती है।
KRISHNAMURTHY R
जुलाई 21, 2025 AT 06:55आपकी बात सही है; अतः हमें त्वरित कार्रवाई के साथ ही नीतिगत सुधार भी करने चाहिए। :)
Vidit Gupta
जुलाई 27, 2025 AT 09:01बिलकुल!! यह स्थिति हमें एकजुट होने की जरूरत पर ज़ोर देती है!!
Gurkirat Gill
अगस्त 2, 2025 AT 11:08हमें सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना चाहिए, ताकि ऐसी भयावह घटनाएं दोबारा न घटें।
Sandeep Chavan
अगस्त 8, 2025 AT 13:15समर्थन के लिए धन्यवाद!! एकजुटता ही इस अंधेरे को दूर कर सकती है!!