पहलगाम आतंकी हमला : बैंसारन घाटी में पर्यटकों पर निशाना, धक्का देने वाली घटना

- 23 अप्रैल 2025
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पहलगाम में बैंसारन घाटी: कश्मीरी वादियों में खून-खराबा
कश्मीर के अनजाने कोने बैंसारन घाटी, जहां वादी की ठंडी हवा के बीच जिंदगी खुलकर मुस्कुराती थी, अचानक 22 अप्रैल 2025 को चीखों और गोलियों की गूंज से हिल गई। पहलगाम में इस बार आतंकी वारदात ने न सिर्फ स्थानीय लोगों बल्कि देश-दुनिया के लोगों का चैन छीन लिया।
घटना शाम करीब साढ़े पांच बजे की है। बैंसारन घाटी की खूबसूरती निहार रहे पर्यटकों के बीच स्थानीय पुलिस की वर्दी में कुछ लोग पहुंचे। शुरुआत में किसी को शक नहीं हुआ, लेकिन जल्द ही उन्होंने बंदूकें तान लीं। उनके तेवर और मंशा देखकर घाटी की फिजा सन्न रह गई। वहां मौजूद पर्यटकों से उन लोगों ने इस्लामी आयतें पढ़ने को कहा। जो न पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई।
पुणे महाराष्ट्र से आए संतोष जगदाले की बेटी असावरी का दर्द बयान करने के लिए शब्द कम पड़ जाएंगे। उसने अपने पिता और चाचा को अपनी आंखों के सामने ढेर होते देखा। हर कोई स्तब्ध रह गया कि घाटी, जो मोक्ष और सुकून के लिए थी, अब बेगुनाह लोगों का कब्रगाह बन गई।
हमले में एक नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और दो विदेशी नागरिक भी मारे गए। घायलों में एक दर्जन से ज्यादा लोग शामिल हैं—इनमें बच्चे और महिलाएं भी। सुरक्षाबलों को मौके पर पहुंचने में करीब 20 मिनट लगे, लेकिन तब तक आतंकियों ने अपना खूनी खेल खत्म कर दिया था। कई लोगों ने जान की भीख मांगी, लेकिन हमलावरों ने किसी की नहीं सुनी।
हमलावर कौन थे, और देश में कैसा माहौल?
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि हमलावर तथाकथित TRF (द रेजिस्टेंस फ्रंट) नाम के आतंकी संगठन से जुड़े थे, जो कुख्यात लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया चेहरा है। आतंकियों ने मौके से फरार होने से पहले पूरे इलाके में दहशत फैला दी। पुलिस ने उनकी पहचान की कोशिश में आसपास के गांव-कस्बों की घेराबंदी कर दी है, जबकि आतंकियों की स्केच जारी किए जा चुके हैं। अभी तक सभी घायल पर्यटकों के नाम सार्वजनिक नहीं हो पाए हैं।
मोदी सरकार ने तत्काल व्यापक कार्रवाई की तैयारी शुरू की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात में ही कैबिनेट की बैठक की, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ अगली रणनीति पर विचार-विमर्श किया। खबर मिलते ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई बड़े नेता भारत के साथ खड़े नजर आए। हर तरफ इस क्रूरता की कड़ी निंदा हुई।
घाटी में इस घटना के विरोध में स्थानीय कश्मीरी भी सड़कों पर आ गए। अनंतनाग, श्रीनगर और पहलगाम समेत तमाम जगहों पर आम लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर मारे गए लोगों को याद किया। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी था कि फूलों की घाटी को नफरत और आतंक ने लहूलुहान क्यों कर डाला। कई लोगों ने अपनी तरह से अधिकारियों को बताया कि दिलों में डर बैठ गया है, लेकिन इंसानियत की आवाजें भी सड़क पर नजर आईं।
अब जांच एजेंसियों की नींद उड़ी है। स्थानीय पुलिस, सेना और केंद्रीय एजेंसियां मिलकर हत्यारों को पकड़ने में जुटी हैं। लोगों को उम्मीद है कि जल्द उन चेहरों को पकड़कर सजा दिलवाई जाएगी, जिन्होंने घाटी की शांति छीन ली। जब तक ऐसा नहीं होता, बैंसारन घाटी की हवाओं में मातम का असर बाकी रहेगा।