तिरुपति लड्डू में 250 करोड़ का घी बदलाव: SIT ने बताया बड़ा धोखाधड़ी का खुलासा

तिरुपति लड्डू में 250 करोड़ का घी बदलाव: SIT ने बताया बड़ा धोखाधड़ी का खुलासा

तिरुपति के पवित्र लड्डू में मिलावट का खुलासा भक्तों के दिलों में दरार डाल गया है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने अपने सबसे पवित्र प्रसाद के लिए 2019 से 2024 तक लगभग 250.80 करोड़ रुपये का बेकार और घातक मिलावटी घी खरीदा, जिससे 11 करोड़ से अधिक भक्तों को खाने को मिला। इस मामले की जांच सीबीआई की अधीन विशेष जांच टीम (SIT) ने की है, जिसने पाया कि इस घी में पाम ऑयल, पाम कर्नेल ऑयल, और संदेह अनुसार जानवरों का वसा और मछली का तेल मिलाया गया था। यह घी भोले बाबा डेयरी और उसकी छिपी कंपनियों से उत्तराखंड से खरीदा गया, जबकि इस डेयरी को पहले ही बैन किया जा चुका था।

कैसे चला यह धोखाधड़ी का जाल?

जांच में पता चला कि टीटीडी के पूर्व मुख्य प्रबंधक (खरीद) एआरएसएसवीआर सुब्रह्मण्यम ने 68 लाख किलोग्राम मिलावटी घी की खरीदारी की। उन्हें 28 नवंबर, 2024 को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद 10 दिसंबर, 2024 को टीटीडी के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें पूर्व कार्यकारी अधिकारी एवी धर्मरेड्डी भी शामिल हैं। इन अधिकारियों की चिकित्सा जांच तिरुपति रुइया अस्पताल में की गई।

एक अन्य बड़ा नाम जिसके खिलाफ जांच चल रही है, वह है वाईवी सुब्बा रेड्डी, जो पूर्व टीटीडी अध्यक्ष और वाईएसआरसीपी के सांसद हैं। उन्हें 8 घंटे तक पूछताछ की गई। उन्होंने कहा कि "मुझे मिलावट की लैब रिपोर्ट कभी नहीं दिखाई गई, खरीदारी तकनीकी समिति की सिफारिश पर हुई थी।" यह बयान उनके बचाव का आधार है — लेकिन जांच अधिकारी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि तकनीकी समिति का भी निर्णय भ्रष्टाचार से प्रभावित था।

सुप्रीम कोर्ट ने जांच को बचाया

इस मामले में एक बड़ा मोड़ 26 सितंबर, 2024 को आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के एक आदेश को स्थगित कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सीबीआई ने SIT के बाहर एक अधिकारी को नियुक्त करके निर्देशों का उल्लंघन किया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने जांच को अधिक वैधता दी और राजनीतिक दबाव से बचाया। अब जांच पूरी तरह से सीबीआई और SIT के नियंत्रण में है।

क्या यह सिर्फ घी का मामला है?

नहीं। यह सिर्फ एक घी का मामला नहीं है — यह एक पैटर्न है। 2015 से 2025 तक टीटीडी ने 54 करोड़ रुपये के रेशम के डुपट्टे बेचे, जो असल में पॉलिएस्टर थे। इसकी जांच में मेसर्स वीआरएस एक्सपोर्ट नाम की कंपनी शामिल हुई। अप्रैल 2023 में एक क्लर्क, सीवी रवि कुमार, को श्री वारि हुंडी से दान के पैसे चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ये सभी मामले एक ही तरह के हैं — भक्तों के विश्वास का दुरुपयोग।

राजनीतिक बदलाव का असर

वर्तमान सरकार, जिसकी अगुवाई चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं, ने इस मामले को पिछली वाईएस जगन्मोहन रेड्डी सरकार की लापरवाही का नतीजा बताया है। उन्होंने सितंबर 2024 में खुलकर कहा कि लैब रिपोर्ट में मछली का तेल और जानवरों का वसा पाया गया। इसका मतलब है कि यह धोखाधड़ी पांच साल तक चली — और किसी ने कुछ नहीं किया।

भक्ति का दर्द: जब प्रसाद बन गया अपमान

तिरुपति लड्डू सिर्फ एक मिठाई नहीं है। यह एक अविभाज्य भावना है। हर भक्त इसे भगवान के प्रेम का प्रतीक मानता है। जब आपको पता चले कि आपके भगवान के भोग में गंदगी मिली है — तो यह विश्वास का स्तंभ तोड़ देता है। लाखों लोग इसे अपने घर ले जाते हैं, बच्चों को खिलाते हैं, बीमारियों के लिए इसका उपयोग करते हैं। अब वे सोच रहे हैं: क्या यह भी जहर था?

अगले कदम क्या हैं?

SIT अब पूरी आपूर्ति श्रृंखला, बैंक लेनदेन, और अधिकारियों के बीच संचार की जांच कर रहा है। अभी तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, और 18 पूर्व अधिकारियों को नोटिस भेजे गए हैं। जांच का अगला लक्ष्य है: कौन था वह व्यक्ति जिसने ब्लोहे बाबा डेयरी को टीटीडी के लिए खरीदारी का अवसर दिया? क्या इसमें राजनीतिक दबाव शामिल था? क्या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क था?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या तिरुपति लड्डू अब भी सुरक्षित हैं?

अभी टीटीडी ने नए आपूर्तिकर्ता चुने हैं और घी की जांच के लिए तीन अलग-अलग निजी लैबों को नियुक्त किया है। हर बैच की नमूना जांच अब दो बार होती है — एक आंतरिक और एक बाहरी। लेकिन भक्तों का विश्वास वापस आने में कई महीने लग सकते हैं।

क्या इस मामले में राजनीतिक नेता शामिल हैं?

हां। पूर्व अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी और कई अन्य YSRCP के अधिकारी जांच में शामिल हैं। सीबीआई ने अभी तक किसी को राजनीतिक आरोप नहीं लगाया, लेकिन अधिकारियों के बीच बैठकों के रिकॉर्ड और फोन रिकॉर्ड्स की जांच चल रही है।

कितने लड्डू मिलावटी घी से बने?

जांच में पाया गया कि 2019 से 2024 तक लगभग 20 करोड़ लड्डू बनाए गए, जिनमें मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ। यह लगभग हर दूसरा लड्डू है जो इस अवधि में बना। इसका मतलब है कि लगभग 11 करोड़ भक्तों को यह घी मिला।

क्या भोले बाबा डेयरी को पहले भी बैन किया गया था?

हां। उत्तराखंड सरकार ने 2017 में इस डेयरी को बैन कर दिया था क्योंकि उनके घी में बेस्ट ऑयल और अन्य अवैध पदार्थ मिले थे। फिर भी टीटीडी ने 2019 में इसी कंपनी से खरीदारी शुरू कर दी। यह एक जानबूझकर किया गया अपराध है।

इस मामले का टीटीडी पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

टीटीडी की आय का 60% लड्डू और प्रसाद बेचने से आती है। अगर भक्त इस विश्वास को खो दें, तो आय में 30-40% गिरावट आ सकती है। इसके अलावा, विश्व स्तर पर भी इसका नुकसान होगा — तिरुपति का नाम अब नैतिक अपराधों के साथ जुड़ रहा है।

क्या इस मामले में कोई न्याय होगा?

अगर जांच ईमानदारी से चलती है, तो हां। लेकिन पिछले दस सालों में टीटीडी में लगातार भ्रष्टाचार के मामले आए हैं, और अधिकांश में कोई सजा नहीं हुई। अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी है — यह एक अच्छा संकेत है।

1 टिप्पणि

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    Ganesh Dhenu

    दिसंबर 16, 2025 AT 00:04

    इस धोखे ने तो मेरा भी दिल तोड़ दिया। तिरुपति के लड्डू को बच्चों के लिए प्रसाद की तरह ले जाना था, अब लगता है जैसे किसी ने हमारे विश्वास को बेच दिया हो।

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