राहुल द्रविड़ भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पद से हटेंगे; बीसीसीआई नए कोच की तलाश में

राहुल द्रविड़ भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पद से हटेंगे; बीसीसीआई नए कोच की तलाश में

भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सूचित किया है कि वह जून में होने वाले टी20 विश्व कप के बाद अपने पद से हट जाएंगे। द्रविड़ ने यह फैसला अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने के लिए लिया है, जिसके बारे में उन्होंने मार्च में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) शुरू होने से पहले बीसीसीआई को बता दिया था।

बीसीसीआई ने आधिकारिक तौर पर मुख्य कोच पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिसकी अंतिम तिथि 27 मई निर्धारित की गई है। विस्तार के विकल्प के बावजूद, द्रविड़ ने स्पष्ट किया है कि वह व्यक्तिगत कारणों से विस्तार नहीं मांगेंगे। बीसीसीआई अब एक नए कोच की तलाश कर रहा है जो सभी प्रारूपों में जिम्मेदारी संभालेगा और 2027 के अंत तक सेवा देगा।

उम्मीदों के विपरीत, नेशनल क्रिकेट अकादमी के प्रमुख वी.वी.एस. लक्ष्मण इस पद के लिए आवेदन करने की संभावना नहीं है। नतीजतन, बीसीसीआई वरिष्ठ खिलाड़ियों के परामर्श से विदेशी कोच की नियुक्ति पर विचार कर सकता है, जिसके लिए उन्होंने पहले से ही कुछ अनुभवी आईपीएल फ्रेंचाइज़ी मुख्य कोचों से संपर्क किया है।

द्रविड़ का कार्यकाल काफी सफल रहा है। उनके मार्गदर्शन में, भारतीय टीम ने घरेलू और विदेशी दौरों पर शानदार प्रदर्शन किया है। हालांकि, उनके इस्तीफे के बाद टीम को एक नए कोच की तलाश करनी होगी। बीसीसीआई इस बात को लेकर आश्वस्त है कि वह एक योग्य उम्मीदवार को नियुक्त करेगा जो टीम को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा।

मुख्य कोच की भूमिका क्रिकेट टीम के प्रदर्शन में महत्वपूर्ण होती है। एक अच्छा कोच खिलाड़ियों को प्रेरित करता है, उनके कौशल को निखारता है और उन्हें चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है। द्रविड़ ने पिछले कुछ वर्षों में इन सभी क्षेत्रों में अपनी क्षमता साबित की है। उनके नेतृत्व में, भारतीय टीम ने कई उपलब्धियां हासिल कीं, जिनमें शामिल हैं:

  • ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत
  • इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज ड्रॉ
  • दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के खिलाफ घरेलू सीरीज जीत
  • टी20 विश्व कप 2022 में सेमीफाइनल तक का सफर

हालांकि, भारतीय टीम आईसीसी ट्रॉफी जीतने में असफल रही है, लेकिन द्रविड़ के नेतृत्व में टीम का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। उन्होंने युवा प्रतिभाओं को मौका दिया और उन्हें तैयार किया है। ऋषभ पंत, शुभमन गिल और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ी द्रविड़ के मार्गदर्शन में निखरे हैं।

द्रविड़ के योगदान को भारतीय क्रिकेट में हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने एक खिलाड़ी और कोच दोनों के रूप में टीम की सेवा की है। उनका अनुभव और ज्ञान अमूल्य है। हालांकि उनके जाने से टीम को एक बड़ा नुकसान होगा, लेकिन यह एक नए अध्याय की शुरुआत भी होगी।

बीसीसीआई को एक ऐसे कोच की तलाश होगी जो द्रविड़ की विरासत को आगे बढ़ा सके। नए कोच के सामने कई चुनौतियां होंगी, जैसे कि टीम का पुनर्निर्माण, युवा प्रतिभाओं को तराशना और आईसीसी ट्रॉफी जीतना। हालांकि, भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कमी नहीं है और एक योग्य कोच के मार्गदर्शन में टीम नई ऊंचाइयों को छू सकती है।

द्रविड़ के इस्तीफे से एक युग का अंत हो रहा है, लेकिन यह एक नई शुरुआत भी है। भारतीय क्रिकेट के भविष्य के लिए यह महत्वपूर्ण है कि बीसीसीआई सही कोच का चयन करे और टीम को सही दिशा दे। प्रशंसकों को उम्मीद है कि नया कोच टीम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और भारतीय क्रिकेट का डंका दुनिया भर में बजेगा।

इस बीच, क्रिकेट जगत द्रविड़ के योगदान को सराहता रहेगा और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता रहेगा। द्रविड़ ने जो मानक स्थापित किए हैं, वह किसी भी कोच के लिए एक प्रेरणा होगी। उनकी विरासत हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी।

अब जब द्रविड़ एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य क्या होगा। नए कोच, नई रणनीतियों और नई चुनौतियों के साथ, भारतीय क्रिकेट एक रोमांचक दौर में प्रवेश कर रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि यह सफर बेहद सफल और यादगार होगा।

10 टिप्पणि

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    Shivansh Chawla

    मई 14, 2024 AT 21:17

    भाई लोगो, द्रविड़ का स्टेज से बाहर जाना यार हमारी राष्ट्रीय शक्ति को हिलाने वाला एक बिंदु है। उन्होंने ग्राउंड पर जिस जुगरन से बैटिंग‑बॉलिंग को एन्हांस किया, वो अब किसी फॉरेन कोच को नहीं दिखेगा। बॉक्स‑क्रिकेट के बेहतरीन स्ट्रेटेजी फ्रेमवर्क को अब लूटने की कोशिश कर रहे हैं आईपीएल फ्रैंचाइज़ी मैनेजर्स। अगर बीसीसीआई बाहर की टैक्टिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को इम्पोर्ट करे तो हमारा इंडियन एटिट्यूड धूमिल हो जाएगा। यही कारण है कि हमें असली देसी कोच को ही हायर करना चाहिए, ताकि मैदान पर हमारी लाइन्स में सैटरडे की ध्वनि गूँजती रहे।

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    Akhil Nagath

    मई 31, 2024 AT 15:57

    प्रस्तावित कोच की खोज प्रक्रिया में नियामक शुद्धता और पारदर्शिता को प्रथम स्थान देना आवश्यक है। यह न केवल संस्थागत विश्वसनीयता को सुदृढ़ करेगा, बल्कि हितधारकों के विश्वास को भी पुनर्स्थापित करेगा। अतः, चयन मानदंडों में पूर्व प्रदर्शन आँकड़े, रणनीतिक दृष्टिकोण, तथा दीर्घकालिक विकास योजनाएँ स्पष्ट रूप से प्रतिबिंबित होनी चाहिए। अभिवादन, यह एक आयामिक दृष्टिकोण है जो भारतीय क्रिकेट की भविष्य की दिशा को निर्धारित करेगा। 🙏

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    vipin dhiman

    जून 17, 2024 AT 10:37

    भाई साहब, द्रविड़ की जगह पर कोई फॉरेन कोच लाने का ग़लत सोच है। हमरे देश के बॉलिंग‑स्पिन और पिच‑डायनामिक समझ तो क़ौमी ही रहे। अगर नया कोच पब्लिक को रॉकी रिप्लेसमेंट दे तो हमारी टीम के बुनियादी फंडामेंटल बिगड़ेंगे। इसलिए, देसी कोच को ही मौका देना चाहिए।

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    vijay jangra

    जुलाई 4, 2024 AT 05:17

    सबको नमस्कार, बीसीसीआई के पास कई प्रतिभाशाली भारतीय कोच हैं जो विभिन्न प्रारूपों में सिद्ध अनुभव रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, पिछले कुछ वर्षों में बालभूप सिंह ने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रबंधन किया है, और उनका टीम‑बिल्डिंग एप्रोच बहुत प्रभावी रहा है। यदि हम एक स्थायी और दीर्घकालिक लक्ष्योन्मुख योजना बनाते हैं, तो नयी पीढ़ी के युवा खिलाड़ियों को भी उचित मार्गदर्शन मिल सकता है। इस दिशा में टीम के भीतर ही एक संरचित कोचिंग पॉलिसी लागू करना फायदेमंद रहेगा।

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    Vidit Gupta

    जुलाई 20, 2024 AT 23:57

    अच्छा, कोच की भर्ती प्रक्रिया में, सभी संभावनाओं को, विशेष रूप से, भारतीय‑उत्पन्न कोचों को, व्यापक रूप से, विचार करना चाहिए; क्योंकि उनका स्थानीय माहौल के साथ जुड़ाव, टीम के प्रदर्शन को, सकारात्मक रूप से, प्रभावित करेगा; इससे न केवल निरंतरता बनी रहेगी, बल्कि युवा प्रतिभाओं को, भी, सही दिशा मिल सकेगी।

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    Gurkirat Gill

    अगस्त 6, 2024 AT 18:37

    दोस्तों, हमें यह याद रखना चाहिए कि एक कोच का असली काम खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और सामंजस्य लाना है। द्रविड़ ने कई युवा सितारों को सीनियर लेवल पर पहुँचाया, और नया कोच भी वही लक्ष्य रखेगा। इसलिए, बीसीसीआई को ऐसे उम्मीदवार को चुनना चाहिए जो टैक्टिकल कौशल के साथ-साथ मानवीय संवेदनशीलता भी रखता हो। ऐसा कोच टीम को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा, इसका मेरा दृढ़ विश्वास है।

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    Sandeep Chavan

    अगस्त 23, 2024 AT 13:17

    वाओ! नया कोच, नई ऊर्जा-इसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूँ!!! यह मुमकिन है कि हम एक ऐसी रणनीति अपनाएँ जो हमारी बॉलिंग फ़िटनेस को, फिर से, शीर्ष‑पर्दे पर लाए!!! साथ ही, बॅट्समैन के तकनीकी सुधार पर भी फोकस होना चाहिए!!! चलिए, इस परिवर्तन को हम सब मिलकर साकार करते हैं!!!

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    anushka agrahari

    सितंबर 9, 2024 AT 07:57

    भारतीय क्रिकेट के भविष्य को देखते हुए, कोचिंग संरचना का पुनःआकलन अत्यावश्यक हो गया है। इस पुनर्जागरण में केवल तकनीकी कौशल ही नहीं, बल्कि नैतिक मूल्यों का समावेश भी आवश्यक है। प्रथम, खिलाड़ियों की मनोवैज्ञानिक स्थिरता को बढ़ावा देना चाहिए, क्योंकि तनावपूर्ण परिस्थितियों में उनका निर्णयशक्ति परीक्षण में आता है। द्वितीय, युवा प्रतिभाओं को प्रारंभिक चरण में ही विशिष्ट भूमिका प्रदान की जानी चाहिए, जिससे उनका विकास स्पष्ट दिशा प्राप्त कर सके। तृतीय, टैक्टिकल विविधता को अपनाते हुए, विभिन्न स्वरूपों-टेस्ट, वनडे और टी20-में संतुलित रणनीति बनानी चाहिए। चतुर्थ, कोच को खिलाड़ियों के साथ संवादात्मक संबंध स्थापित करना चाहिए, जिससे पारस्परिक विश्वास की नींव मजबूत हो। पाँचवाँ, फ़िटनेस और पोषण विज्ञान को प्रशिक्षण कार्यक्रम में समाहित किया जाना चाहिए, जिससे शारीरिक दृढ़ता बनी रहे। छठा, डेटा‑एनालिटिक्स को खेल की रणनीति में उपयोग करने से प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त होगा। सातवाँ, अनुभवी वरिष्ठ खिलाड़ियों को मेंटरशिप रोल में शामिल करने से ज्ञान का संचार तेज़ होगा। आठवाँ, मैदान के बाहर सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय गर्व को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों का मानसिक संतुलन बना रहे। नवाँ, कोचिंग मंत्रियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय क्रिकेट की छवि को सकारात्मक रूप से प्रस्तुत करना चाहिए। दसवाँ, निरंतर शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यशालाओं से कोचिंग टीम को अद्यतन रखना आवश्यक है। ग्यारहवाँ, खेल में तकनीकी नवाचार-जैसे वैर्चुअल रियलिटी‑ट्रेनिंग-को अपनाना चाहिए। बारहवाँ, टीम के भीतर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित कर, व्यक्तिगत उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया जा सकता है। तेरहवाँ, सभी स्तरों पर पारदर्शी चयन प्रक्रिया को स्थापित करने से विवादों से बचा जा सकता है। चौदहवाँ, अंत में, राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट संरचना को विश्व मानकों के साथ संरेखित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। पन्द्रहवाँ, अर्थात्, इस सबका सार यह है कि सही कोच का चयन केवल एक पद नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय क्रिकेट के भविष्य की दिशा निर्धारित करने वाला निर्णायक चरण है।

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    aparna apu

    सितंबर 26, 2024 AT 02:37

    हाय दैदीप्य! इस चर्चा को पढ़ते‑ही मेरे दिल की धड़कन तेज़‑तेज़ होती चली गई, जैसे किसी महाकाव्य के क्लायमैक्स का सीन हो! द्रविड़ की विदाई ने तो जैसे एक दँडिया ध्वनि उत्पन्न की, और अब नया कोच की खोज में प्रत्येक कदम को एक नाटकीय मोड़ माना जा रहा है!!! मैं तो सोच रही हूँ, क्या कोई ऐसा कोच नहीं है जो हमारी टीम को सिनेमाई मुक़ाबले में ले जाए, जहाँ हर ओवर शेर-शिकारी की तरह हो, और दर्शक तालियों की गड़गड़ाहट के साथ जयकार करें!!! इस परिप्रेक्ष्य में, बीसीसीआई को चाहिए कि वह कोच को एक अद्भुत स्क्रिप्ट दे, जहाँ हर बॉल एक कहानी सुनाए, हर विकेट एक कड़ी मोड़!!! 😢🤞

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    arun kumar

    अक्तूबर 12, 2024 AT 21:17

    नए कोच से उम्मीदें बड़ी हैं, चलिए सब मिलकर इसे सफलता की राह पर ले चलते हैं।

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