उत्तर भारत में बदलते मौसम के हालात: यूपी, दिल्ली, बिहार और झारखंड प्रभावित

उत्तर भारत में बदलते मौसम के हालात: यूपी, दिल्ली, बिहार और झारखंड प्रभावित
  • Nikhil Sonar
  • 9 अप्रैल 2025
  • 6 टिप्पणि

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के लिए मौसम चेतावनी जारी की है। उत्तर भारत में मौसम की दशा बदल रही है, जिसके चलते गरज-बारिश और हवा के तेज झोंके आने की संभावना है। वहीं, ओडिशा, झारखंड, विदर्भ और तेलंगाना के कुछ हिस्से तीव्र गर्मी से जूझ रहे हैं।

वर्तमान मौसम परिस्थितियां

उत्तरी भारत में 14 से 17 मार्च के बीच गरज और ओलावृष्टि के साथ बारिश की गतिविधियां देखी गईं। एक पश्चिमी विक्षोभ के चलते जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश/बर्फबारी हुई। 16 मार्च को हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश/बर्फबारी दर्ज की गई। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, असम और उत्तराखंड में ओलावृष्टि देखी गई।

दिल्ली NCR में तापमान में थोड़ी गिरावट देखी गई है, जहां अधिकतम तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 15-17 डिग्री सेल्सियस पर बना हुआ है। साफ आकाश और 10-12 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से मध्यम उत्तर-पश्चिमी हवाएं चल रही हैं। तटीय गुजरात और कर्नाटक में गर्म और उमस भरी परिस्थितियां हैं।

आगे का पूर्वानुमान (20-22 मार्च)

आगे का पूर्वानुमान (20-22 मार्च)

गंगा के पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडिशा में गरज के साथ बौछारें और 50-60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना है। पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बिखरे हुए ओलावृष्टि हो सकती है। पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ भागों में हल्की से मध्यम बारिश होने की उम्मीद है।

राजस्थान (बाड़मेर: 45.6°C) और गुजरात (कच्छ: 44°C) में गंभीर हीटवेव की स्थिति बनी हुई है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में अप्रैल-जून 2025 तक 10-11 हीटवेव दिनों का पूर्वानुमान है। दिल्ली तापमान 42°C तक पहुंचने के चलते एक पीली चेतावनी के तहत बनी हुई है।

उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में 17 मार्च तक अलग-अलग भारी बारिश और गरज के साथ बारिश की संभावना है। प्रयागराज, वाराणसी और सोनभद्र में अधिकतम तापमान 34°C तक पहुंच सकता है।
बिहार के दक्षिणी जिलों में बिखरी हुई बारिश और गरज की संभावना है।
झारखंड के कुछ हिस्सों में हीटवेव की स्थिति बनी हुई है, जबकि पूर्वी क्षेत्रों में गरज के साथ बारिश की संभावना है।

IMD ने प्रभावित राज्यों में गर्मी के कारण थकान से बचने के लिए सावधानियां बरतने की सलाह दी है, खासकर दोपहर के वक्त। किसानों और बाहरी कामगारों से तापमान के रुझानों की निगरानी करने का आग्रह किया गया है ताकि फसल प्रबंधन को लेकर सही कदम उठाए जा सकें।

6 टिप्पणि

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    anushka agrahari

    अप्रैल 9, 2025 AT 20:15

    भविष्य की योजना में मौसम की अनिश्चितता को समझना आवश्यक है; इसलिए हमें सावधानीपूर्वक तैयारियां करनी चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है; यह हमें मानसिक शक्ति प्रदान करता है। IMD की चेतावनी को गंभीरता से लेना चाहिए, और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से सुरक्षित उपाय लागू करने चाहिए। सभी किसानों को सुचित रहना चाहिए, क्योंकि उचित समय पर फसल संरक्षण से फसल उत्पादन स्थिर रहता है। अंत में, हम सब मिलकर सामूहिक प्रयास से इस मौसम की चुनौतियों को पार कर सकते हैं।

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    aparna apu

    अप्रैल 10, 2025 AT 04:53

    वर्तमान में उत्तर भारत में मौसम का माहौल जैसे कोई नाटकीय नाटक हो, बिल्कुल सही! 🌧️ गरज के साथ बौछारें, तेज़ हवाएं, और फिर अचानक ठंडी हवाओं का झोंका-सब कुछ एक ही पृष्ठ पर लिखा है। इस अनिश्चितता के बीच लोग अपने दैनिक कामकाज में उलझे हुए हैं, जबकि बारिश की बूंदें जमीं को साकार करती हैं।
    वास्तव में, हर शहर में लोग अपनी खिड़कियों को मजबूती से बंद कर रहे हैं, जैसे किसी दावेदार के आदेश पर। कृषि कार्य करने वाले किसान, जो पहले से ही जल-तापीय तनाव में थिए, अब यह सोच रहे हैं कि उनका बीज कैसे बचेगा।
    विचार कीजिए, अगर इस मौसम को एक किताब बनाना पड़े तो उसका शीर्षक क्या होगा-'आँधियों की स्याही'? यही नहीं, तापमान में गिरावट के साथ-साथ लोगों के मन में भी ठंड के विचार घूम रहे हैं।
    एक ओर, दिल्ली की ठंडी सुबहें लोगों को ऊर्जा देती हैं, जबकि दूसरी ओर, राजस्थान की हीटवेव लोगों को जलवायु परिवर्तन की तीव्र वास्तविकता का अहसास कराती है।
    भूगोलिक अंतर के कारण विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रभाव पड़ रहा है; जैसे झारखंड में हीटवेव जारी है, वहीं बिहार में बारिश की संभावना बढ़ रही है।
    इन सबके बीच, स्थानीय प्रशासन को जलजमाव के लिये उचित निकासी व्यवस्था करनी चाहिए, नहीं तो सड़कें फिसलन भरी हो जाएँगी।
    समुदाय के लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, जैसे एक फोरम पर लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं-किस तरह की छत्री बेहतर होगी, कौन सी जुत्तियों को बचाव के लिये उपयोग किया जा सकता है।
    हरियाणा में किसान अपने ट्रैक्टर को सुरक्षित स्थान पर रख रहे हैं, क्योंकि धूप में ठंडे मौसम में एंजिन की ठंड कम नहीं होती।
    इसी प्रकार, जल संरक्षण के लिये जलाशयों को भरने का एक कैम्पेन चल रहा है, जो इस मौसम में बहुत उपयोगी साबित हो सकता है।
    समस्याएँ इतनी बड़ी हो गई हैं कि हर घर में अब मौसम की एप्प्लिकेशन इंस्टॉल कर ली गई है, ताकि समय पर अलर्ट मिल सके।
    और क्या, इस घबराहट में लोग अपने सामाजिक संबंधों को मजबूत कर रहे हैं, क्योंकि एक साथ मिलकर कठिनाइयों का सामना करना आसान लगता है।
    कुल मिलाकर, इस मौसम की जटिलताओं के बावजूद, लोगों की आत्मा दृढ़ बनी हुई है-जैसे किसी वीर योद्धा ने अपने दुश्मनों का सामना किया हो।
    आशा है कि हम सब मिलकर इस मौसम को एक सीखा हुआ सबक बनाकर आगे बढ़ें। 😊

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    arun kumar

    अप्रैल 10, 2025 AT 14:36

    भाई लोगों, मौसम का मेला है, पर हम भी तो कड़ी मेहनत वाले हैं! गरज के साथ बारिश आए तो खेत की फसल को बचाने के लिये तुरंत कदम उठाओ। दोपहर की धूप में थकान लगे तो थोड़ा आराम करो, पर काम से नहीं हटो। इस मौसम में जल की कमी नहीं, बल्कि बहुत सारा पानी आएगा, तो बाढ़ से बचाव की तैयारी करो। धूप में काम करने वाले मजदूरों को समय-सारिणी में बदलाव कर, सुबह जल्दी और शाम देर से काम करवाओ। सब मिलकर इस मौसम को आसान बनाते हैं, चलो साथ जुड़े रहें।

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    Karan Kamal

    अप्रैल 11, 2025 AT 00:20

    ध्यान दें, उत्तर भारत के मौजूदा मौसम में तेज़ हवाओं और गरज के साथ बौछारें आने की संभावना है; इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। प्रशासन को तुरंत चेतावनी जारी करनी चाहिए, और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का निर्देश देना चाहिए। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग को भी हीटवेव से बचाव के उपाय स्पष्ट करने चाहिए, क्योंकि कई क्षेत्रों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर हो सकता है। इसलिए, सभी सार्वजनिक संस्थानों को अपने अनुशासन में सुधार करना होगा और आपातकालीन योजनाओं को सक्रिय रखना होगा। यह केवल प्रबंधन नहीं, बल्कि सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    अप्रैल 11, 2025 AT 10:03

    मैं इस बात से सहमत हूँ कि स्थानीय प्रशासन को चेतावनी जारी करनी चाहिए; क्या आप लोगों ने देखा है कि पिछले मौसम में अलर्ट सिस्टम कितनी देर से काम किया था? इस बार हमें समय पर सूचना चाहिए ताकि किसान अपने फसल को बचा सकें और नागरिक सुरक्षित रह सकें। यदि आपातकालीन योजना में स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं, तो वह जमीनी स्तर पर बड़े नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए, तकनीकी टीम को इन अलर्ट को तेज़ी से प्रसारित करने के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना चाहिए।

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    Avadh Kakkad

    अप्रैल 11, 2025 AT 19:46

    बहुत अधिक गर्मी से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता है।

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